Action On Illegal Occupants: नैनीताल के हल्द्वानी (Haldwani) में 4,000 से अधिक परिवारों के लिए नए साल की शुरुआत बहुत खराब रही। सुबह समाचार पत्रों से उन्हें एक सूचना मिली कि एक हफ्ते में सभी “अवैध अतिक्रमणों” को खाली करना है। उत्तर-पूर्वी रेलवे द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि ऐसा नहीं करने पर सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाएगा और अतिक्रमणकारियों से लागत वसूल की जाएगी। इसके बाद लाउडस्पीकरों से बार-बार घोषणा की गई, लोगों को जमीन खाली करने के लिए कहा गया, गफूर बस्ती और ढोलक बस्ती, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की झुग्गियों में व्यापक दहशत फैल गई।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में नैनीताल हाईकोर्ट के मामले को चैलेंज किया गया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसए नजरी, पीएस नरसिम्हा इस मामले की बेंच सुनवाई करेंगे। विपक्षी दल इस मामले को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोल रहे हैं। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड धार्मिक राज्य है। अगर हजारों लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए तो यह बहुत दुखद होगा।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी
हल्द्वानी के बनभूलपुरा (Banbhulpura) क्षेत्र में रेलवे भूमि के अतिक्रमण को हटाए जाने को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुमाऊं रेंज के डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने कहा, “उच्च न्यायालय का आदेश पर तमाम संगठन और लोगों से वार्ता की गई। हमने पूरे एरिया को जोन, सुपर जोन और सेक्टर में बांट दिया है। हम सभी जोन का गंभीरता से आकलन कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “कितने घर किस सेक्टर जोन में आ रहे हैं और किस तरह से उनको हटाया जाएगा इसका भी आकलन किया जा रहा है। पुलिस मुख्यालय से फोर्स की डिमांड भी की गई है।”
डीआईजी ने बताया, “हमने अखबारों में (जमीन खाली करने के लिए) नोटिस दिया है। 5 पीएसी कंपनियां मौके पर तैनात हैं और 3 पीएसी कंपनियां भी 8 जनवरी तक पहुंच जाएंगी। हमने सेंट्रल पैरा मिलिट्री फोर्स की 14 कंपनियां भी मांगी हैं। करीब 4000-5000 पुलिसकर्मियों की होगी तैनाती।”
दूसरी तरफ नैनीताल के जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल ने कहा,”यहां पर जितने भी लोग हैं वे रेलवे की भूमि पर हैं। इनको हटाया जाना है, इसके लिए हमारी तैयारी पूरी चल रही है। हमने फोर्स की मांग की है। आने वाले कुछ समय में हम उन्हें हटाएंगे। ये उच्च न्यायालय का आदेश है उसका पालन करना होगा।”
दरअसल उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने दो हफ्ते पहले एक आदेश में अवैध कब्जे को हटाने को कहा था। इसके बाद वहां रह रहे लोगों को नोटिस देकर घर खाली करने के लिए सात दिन का समय दिया गया। नैनीताल जिले के अधिकारियों के अनुसार क्षेत्र से कुल 4,365 अतिक्रमण हटाए जाएंगे। कुछ लोग वहां दशकों से रह रहे हैं और अदालत के आदेश का विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस विधायक ने किया विरोध, समस्या के लिए सरकार को बताया दोषी
हल्द्वानी के कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने ‘तथाकथित’’ रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने के विरुद्ध बनफूलपुरा क्षेत्र के लोगों के प्रदर्शन का मंगलवार को ‘जोरदार समर्थन’ किया और उनकी दुर्दशा के लिए उत्तराखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया। हृदयेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ करीब सौ साल से (बनफूलपुरा के) इस क्षेत्र में लोग बसे हुए हैं। यहां 70 साल पुरानी मस्जिदें और मंदिर हैं। यहां नजूल जमीन, पूर्ण स्वामित्व वाली भूमि और लीजधारक हैं….।’’’ उन्होंने कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार अतिक्रमण हटाने का जो अभियान चला रही है, उससे प्रभावित होने वाले लोगों के बारे में उसने न्यायायल को कभी नहीं बताने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘‘ रेलवे जिस 78 एकड़ जमीन को अपना बताता है, उसे खाली करने का विरोध करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से उच्च न्यायालय गये। हम उच्चतम न्यायालय भी गये, जहां हमारे वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद मामले की पैरवी कर रहे हैं लेकिन जिस सरकार ने जमीन पर स्कूल एवं अस्पताल बनवाये, उसने अपने नागरिकों की कोई परवाह नहीं की।’’
विधानसभा में हल्द्वानी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हृदयेश ने हाल में प्रदर्शनकारियों के धरने में भी हिस्सा लिया। यह सीट पारंपरिक रूप से वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं उनकी मां इंदिरा हृदयेश जीतती थीं। उत्तराखंड उच्च न्यायायल ने हल्द्वानी के बनफूल इलाके में रेलवे की 28 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने का 20 दिसंबर को आदेश दिया था।