वाराणसी की बहुचर्चित ज्ञानवापी मस्जिद पर छिड़े विवाद के बीच बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की सरकार में श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा को रोकने का काम किया गया था, जिसे बहाल करने की मांग हिंदू पक्ष कर रहा है।

श्रृंगार गौरी मंदिर में नियमित पूजा का अधिकार मांगने के लिए कोर्ट पहुंचे हिंदू पक्ष की बात पर एक टीवी डिबेट के दौरान बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला ने कहा, “1996 में महाशिवरात्री के दिन मैंने खुद श्रृंगार गौरी मंदिर में अभिषेक किया था औरर तब वहां 365 दिन अभिषेक होता था। उन्होंने कहा कि यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने Worship Act 1991 का उल्लंघन किया था। उन्होंने मंदिर में नियमित पूजा रोक दी थी, पर अब अगर कोई उसे रीस्टोर करने की मांग रहा है और कोर्ट उस पर सर्वे करने दे रहा है तो इसमें कोई गलत काम क्या हो रहा है?

मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए रोकी गयी मंदिर में पूजा: श्रृंगार गौरी मंदिर के बैरिकेड के बाहर होने और उसकी पूजा रोकने के सवाल पर प्रेम शुक्ला ने कहा कि मुलायम सिंह यादव की सरकार ने सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए 2004 में श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा रोक दी। उन्होंने कहा कि 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान भी मंदिर में पूजा नहीं रुकी थी।

बीजेपी नेता ने सवाल उठाया कि भारत को छोड़कर विश्व की किसी एक मस्जिद का नाम बताया जाए जहां चक्र हो, शंख हो और मंदिर पाया जाता हो? उन्होंने कहा कि किसी भी दूसरे धर्म के स्थल या विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनायी जा सकती पर यहां तो मंदिर तोड़ा गया जोकि इतिहास में दर्ज है।

क्या रहा कोर्ट का फैसला? ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर वाराणसी की सिविल कोर्ट ने मस्जिद के संपूर्ण भाग पर सर्वे कराने का आदेश दिया और सर्वे में बाधा पहुंचाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। तीन दिनों तक चली सुनवाई और सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों को खारिज कर दिया और कहा कि कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा नहीं हटाए जाएंगे।