असम में ‘विदेशी’ समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 वर्षीय महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। पुलिस ने स्वीकार किया है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। अधिकारियों ने गलत व्यक्ति को हिरासत में लिया था। मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध आप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बधिर बेटी के घर लौट आई।
पुलिस ने स्वीकारी गलतीः मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुबाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था। दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं।
National Hindi News, 27 June 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक
गलत पहचान का शिकार हुई महिलाः चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया, “मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केंद्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए। यह गलत पहचान का मामला था।” सुधाकर ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक असम पुलिस की बॉर्डर विंग के अधिकारियों ने इस मामले में स्पष्टीकरण देने से साफ इनकार कर दिया है। दरअसल संदिग्ध विदेशियों की पहचान करने की जिम्मेदारी असम पुलिस की बॉर्डर विंग पर होती है। वहींं दूसरी तरफ अभी तक यह बात साफ नहीं हो सकी है कि मधुबाला मंडल को गलत तरीके से हिरासत में रखे जाने पर उन्हें कोई मुआवजा दिया जाएगा या नहीं।