असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को धमकी मिली है। यह धमकी सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवन सिंह पन्नू ने दी है। उसने आरोप लगाया कि असम में सिख समुदाय को प्रताड़ित किया जाता है और उनके साथ गलत बरताव किया जाता है।

असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, “हमें आज एक ओडियो क्लिप मिली जिसमें व्यक्ति खुद को गुरपतवंत सिंह पन्नू बता रहा था और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को धमकी दे रहा था। उसने आरोप लगाया कि असम में सिख समुदाय को प्रताड़ित किया जाता है और उनके साथ गलत बरताव किया जाता है। हमने केस दर्ज किया है।”

बढ़ाई गयी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सुरक्षा

ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी, “प्राथमिक अनुमान से ऑडियो क्लिप गुरपतवंत सिंह पन्नू का लग रहा है। इसकी पुष्टि जांच रिपोर्ट के बाद होगी। CM की सुरक्षा व्यवस्था और पुख़्ता की गई है। आगे की जांच जारी है। यहां पर खालिस्तानी मामले से जुड़े कोई मामले नहीं आए हैं। हमने रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट पर कड़ी सुरक्षा बनाकर रखी है।”

खालिस्तान समर्थकों की लड़ाई पीएम मोदी से

अपनी धमकी में पन्नू ने कहा कि खालिस्तानी समर्थकों को असम में कैद किया जा रहा है। उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। उसने लड़ाई को भारत और खालिस्तान के बीच में बताते हुए असम के सीएम को बीच में न आने के लिए कहा है। दरअसल, खालिस्तान समर्थक और भगोड़े अमृतपाल सिंह के कुछ साथियों को असम की जेल में रखा गया है। इस एक्शन से नाराज गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के लोगों ने उन्हें खालिस्तान और अमृतपाल के मामले से दूर रहने की चेतावनी दी है। धमकी में यह भी कहा गया है कि खालिस्तान समर्थकों की लड़ाई भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है। इसलिए असम के सीएम इस मामले में ना पड़कर हिंसा का शिकार होने से बचें।

डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखे गए हैं अमृतपाल के करीबी

एसएफजे के गुर्गों ने यह भी कहा कि अगर असम सरकार पंजाब से असम ले गए अमृतपाल के समर्थकों को प्रताड़ित करने की सोच रही है तो इसकी जवाबदेही हिमंता बिस्वा सरमा की होगी। पन्नू ने अपनी धमकी में कहा है कि हम पंजाब को भारत से मुक्त कराने के लिए अभियान चला रहे हैं। उसके मुताबिक यह अभियान खालिस्तान के हिसाब से शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से अंजाम दिया जा रहा है।

गौरतलब है कि खालिस्तान की मांग करने वाले अमृतपाल के करीबियों और अन्य समर्थकों को डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में रखा गया है। अमृतपाल के चार करीबी सरबजीत सिंह कलसी, भगवंत सिंह, गुरमीत सिंह गिल और बसंत सिंह को भी डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में ही रखा गया है।