गुजरात हाईकोर्ट में एक वकील ने चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष यह कहते हुए माफी मांगने से इन्कार कर दिया कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। वकील ने कहा कि वो किसी सूरत में भी कोर्ट से माफी मांगने नहीं जा रहे हैं। वकील के जवाब पर बेंच ने कहा कि वो आरोप तय करने के लिए कोर्ट को मजबूर कर रहा है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि वकील से अपना पछतावा व्यक्त करने और मामले को शांत करने का आग्रह किया था, हालांकि वो उसे रोकने में विफल रहे।
हालांकि, उसके बाद भी वकील बृजेश जसवंत्रे त्रिवेदी ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। मामले के मुताबिक अवमानना की कार्यवाही 15 जुलाई 2019 के एक आदेश से जुड़ी है। इस मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी वकील पर बेवजह की दलील देकर अदालत पर प्रैशर बनाने का आरोप लगाया गया था। मामले में वो एक पक्ष से बहस कर रहा था।
बेंच ने उस समय कहा था कि वकील का तेवर न्याय में हस्तक्षेप करने और कोर्ट का अपमान करने जैसा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि त्रिवेदी ने अपनी आवाज ऊंची करके समय मांगना जारी रखा। जब अदालत ने संकेत दिया कि मामला पहले ही निपटाया जा चुका है तो उसने अदालत को धमकाना शुरू कर दिया। कोर्ट का कहना था कि वकील का आचरण पूरी तरह से असंयमित और अशोभनीय था। इसके बाद मामले को चीफ जस्टिस के बेंच के सामने भेजा गया।
मंगलवार को मामला चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की डबल बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए आया तो त्रिवेदी ने आरोप से इन्कार कर सारे वाकये को उनके समक्ष रखा। चीफ जस्टिस ने वकील से पूछा कि आप इस मामले को शांत नहीं करना चाहते हैं? जवाब में वकील ने फिर से तीखे तेवर दिखाए और बेवजह की बहस करनी जारी रखी। उन्होंने कहा- मैं सॉरी नहीं कहूंगा, क्योंकि मैंने कुछ भी नहीं किया है।