गुजरात के वडोदरा नगर निगम (VMC) की विश्वामित्री परियोजना के निरीक्षण के दौरान बुधवार को शहर की मेयर पिंकी सोनी और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया। इस दौरान उन्होंने नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. शीतल मिस्त्री और नगर आयुक्त दिलीप राणा पर उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगाया। यह मामला भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नगर इकाई के लिए सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी का कारण बन गया।

अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेयर सोनी ने कहा कि स्थायी समिति के अध्यक्ष और नगर आयुक्त उनके अधिकार को कमतर आंक रहे हैं। उन्होंने अंदेशा जताया कि शायद यह इसलिए हो रहा है क्योंकि वह “IAS या डॉक्टर” के स्तर की शिक्षा प्राप्त नहीं हैं।

उन्होंने बताया, “हमने विश्वामित्री परियोजना के एक हिस्से का निरीक्षण करने का कार्यक्रम बनाया था और सभी संबंधित अधिकारियों व निर्वाचित सदस्यों को इसकी सूचना दी थी। लेकिन जब मैं निर्धारित समय से 10 मिनट पहले पहुंची, तो पाया कि मिस्त्री, राणा और तीन पार्षद पहले से ही वहां मौजूद थे और निरीक्षण कर चुके थे। जैसे ही मैं पहुंची, वे मौके से चले गए और मुझे बताया गया कि परियोजना इंजीनियर मुझे व्हाट्सएप पर अपडेट भेजेंगे, जिन्हें मुझे पढ़ना चाहिए।”

सोनी ने आरोप लगाया कि वडोदरा के प्रथम नागरिक होने के बावजूद उन्हें बार-बार नगर निगम के कार्यों में दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “इससे पहले भी, जब अजवा जलाशय और प्रतापपुरा जलाशय के पुनरुद्धार की नींव रखी गई, तो मुझे इसकी जानकारी तक नहीं दी गई। मैंने अब तक इस परियोजना की जानकारी खुद जुटाई है ताकि इसे शहरवासियों के साथ साझा कर सकूं।”

“टीमवर्क” की धारणा टूटी

मेयर ने कहा कि उन्हें लगता था कि यह परियोजना टीम वर्क का हिस्सा है, लेकिन अब उनकी धारणा टूट गई है। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री द्वारा स्वीकृत विश्वामित्री नदी परियोजना वडोदरा में बाढ़ की समस्या को हल करने के लिए बनाई गई है। मुझे लगा था कि हम सब एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों ने मेयर के पद की अवहेलना करने का निर्णय ले लिया है।”

मेयर पिंकी सोनी, जो एक प्राथमिक शिक्षक रही हैं, ने यह भी कहा कि उनकी “कम” शैक्षणिक योग्यता उनके साथ हो रहे इस भेदभाव का कारण हो सकती है। उन्होंने कहा, “हो सकता है कि वे मुझसे इसलिए बात करने में झिझकते हों क्योंकि मैं केवल एक कॉमर्स ग्रेजुएट हूं, और IAS या डॉक्टर जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं की है।”

“बिना सूचना के किया निरीक्षण”

मेयर ने दावा किया कि उनके कार्यालय ने प्रोटोकॉल के तहत मंगलवार को ही सभी संबंधित पदाधिकारियों और भाजपा के निर्वाचित सदस्यों को सूचित कर दिया था कि वे बुधवार सुबह 11:30 बजे निरीक्षण के लिए आएं। लेकिन, मिस्त्री, राणा और तीन पार्षद सुबह 10:30 बजे ही पहुंच गए और निरीक्षण पूरा कर लिया। जब सोनी पहुंचीं, तो वे बिना कोई जानकारी दिए चले गए।

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उन्होंने आगे कहा, “पहले तो मुझे लगा कि वे निरीक्षण की तैयारी के लिए पहले पहुंचे होंगे, लेकिन फिर पता चला कि वे विपक्ष के नेता चंद्रकांत श्रीवास्तव के साथ परियोजना की दूसरी साइट पर चले गए, जबकि मैं अभी तक उसी साइट पर मौजूद थी, जहां निरीक्षण होना था। मुझे नहीं समझ आ रहा कि ऐसा करने की क्या जरूरत थी।”

वार्ड 15 विवाद से कोई संबंध नहीं

मेयर सोनी ने इस बात से इनकार किया कि यह घटना वार्ड 15 में स्टॉर्म वाटर ड्रेन साइट के दौरे के कारण हुई। सोमवार को जनरल बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर भाजपा पार्षद आशीष जोशी और नगर आयुक्त राणा के बीच तीखी बहस हुई थी। इसके बाद मेयर ने प्रशासन को ड्रेन लाइन की तत्काल सफाई के निर्देश दिए थे।

गुरुवार को संपर्क किए जाने पर नगर आयुक्त दिलीप राणा और स्थायी समिति अध्यक्ष शीतल मिस्त्री ने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

वडोदरा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “नेताओं के बीच लगातार सार्वजनिक रूप से होने वाली खींचतान ने पार्टी की नगर इकाई को मुश्किल में डाल दिया है। हम मेयर से बात करके उनकी चिंताओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमें लगता है कि उनकी शिकायतें जायज हैं, तो हम राज्य सरकार के सामने यह मुद्दा उठाएंगे।”