Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) को दो महीने से जमानत नहीं दिए जाने पर चिंता जताई है। कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट से भी सवाल किए और न्यायपालिका की स्टैंडर्ड प्रैक्टिस को लेकर कटघरे में खड़ा किया।

एपेक्स कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत नहीं देने का कोई कारण ही नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीस्ता के केस में कोई अपराध नहीं है जिसके लिए जमानत नहीं दी जा सकती है। वह भी एक महिला के साथ ऐसा व्यवहार कैसे किया जा सकता है?

तीस्ता पर गवाहों को भड़काने का आरोप: साल 2002 के गुजरात दंगे मामले में गिरफ्तार हुईं तीस्ता सीतलवाड़ के वकील कपिल सिब्बल और एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं।कोर्ट ने इस मामले में गुरुवार को भी तीस्ता को जमानत नहीं दी। इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई होगी। तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गवाहों को भड़काया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) को क्लीन चिट दिए जाने की एसआईटी रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जाकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ अपने स्वार्थ सिद्ध करने में जुटी रहीं।

तीस्ता पर UAPA जैसे आरोप नहीं: इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तीस्ता पर कोई UAPA जैसे आरोप नहीं हैं जिनमें जमानत न दी जाए। ये साधारण सीआरपीसी, आईपीसी की धाराएं हैं। ऐसे में महिला राहत की हकदार है। वहीं, कोर्ट की इन टिप्पणियों पर एसजी तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत पर फैसला करने से पहले हाईकोर्ट का फैसला भी देखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को इंतजार कर लेना चाहिए। ऐसे मामलों में सीधे एसएलपी सुनने से परहेज करना चाहिए। कल फिर होगी सुनवाई लेकिन कोर्ट इस दलील से ज्यादा संतुष्ट दिखाई नहीं दिया।

एक महिला के साथ ऐसा किया गया: सीजेआई की अध्यक्षता में सुनवाई कर रहे बेंच में जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने गुजरात हाईकोर्ट के तौर-तरीके पर भी सवाल खड़े किए। भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई अपराध नहीं है जिसके लिए जमानत नहीं दी जा सकती। वह भी एक महिला के साथ ऐसा किया गया है।

दो महीने से जेल में हैं तीस्ता: बेंच ने कहा कि सीतलवाड़ दो महीने से ज्यादा समय से जेल में हैं और अभी तक कोई आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का तीन अगस्त को तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के लंबे समय में जवाब दाखिल करने के लिए कहना, कहीं से उचित नहीं है। यह न्याय के विधान के लिए सही नहीं।

सीजेआई ने कहा कि वह एक महिला है। हाई कोर्ट ने छह हफ्ते के बाद नोटिस कैसे जारी किया? क्या गुजरात हाई कोर्ट में यह प्रथा है? जस्टिस यूयू ललित ने हाईकोर्ट से पूछा है कि हमें ऐसे उदाहरण दें जहां किसी महिला के केस में, जो इस तरह के मामले में शामिल रही है, उसे जमानत देने के लिए इतने लंबे समय में नोटिस देकर जवाब मांगा गया हो।

सुनवाई को स्थगित करने की मांग: भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत को लेकर हो रही सुनवाई को स्थगित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अदालत जो भी तर्क दे रही, वह सभी तर्क हाईकोर्ट में होनी चाहिए न की सुप्रीम कोर्ट में। उन्होंने यहां ऐसे तर्क पर आपत्ति जताई। वहीं, तीस्ता सीतलवाड़ की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने एफआईआर को ही चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि ऐसे एफआईआर हो ही नहीं सकती। उसमें यह खुलासा नहीं किया गया है कि कौन से दस्तावेज जाली हैं।