गुजरात में विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है और राज्य में फसल बीमा के आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग की है। इधर सोमवार को सीएम विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने एक नई योजना शुरू की, जिसके तहत सूखे, अत्यधिक बारिश या बेमौसम बरसात के कारण फसल नुकसान का सामना करने वाले किसानों को (बिना कोई किसी प्रीमियम दिए) मुआवजा मिलेगा। इस योजना के तहत अधिकतम चार हेक्टेयर के लिए एक किसान को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपए मिलेंगे।
सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनाणी ने कहा, ‘ये सच्चाई सबको पता है कि साल 2016 में यहां लागू की गई पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को लूटा है। इसमें किसान 2 से 5 फीसदी बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं और राज्य सरकार फसल बीमा कंपनियों को पचास फीसदी प्रीमियम का भुगतान करती है। इतने अधिक प्रीमियम के बाद भी किसानों को बीमे का भुगतान करने या बीमा कंपनियों के आंकड़ों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इससे साबित होता है कि केंद्र और निजी कंपनियों के साथ राज्य सरकार ने भी जनता का पैसा लूटने में साजिश रची। हमने पहले भी साबित किया है कि इस योजना के तहत हर साल 15-20 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार होता है।’
Coronavirus Vaccine Live Updates
धनाणी ने आगे कहा, ‘हम सरकार से मांग करते हैं कि पिछले चार सालों में हर सीजन में फसल कटाई की कुल उपज और वास्तविक उपज के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। इसके साथ ही पिछले चार सालों के बीमा दस्तावेज और आंकड़ों का भुगतान किया जाए। हम ये भी मांग करते हैं कि मामले में निष्पक्ष जांच के लिए गुजरात हाई कोर्ट एक समिति का गठन करे।’
वहीं सरकार की नई योजना ‘मुख्यमंत्री किसान सहाय योजना’ की आलोचना करते हुए गुजरात कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने किसानों को एक नया लॉलीपॉप दिया है। उन्होंने कहा, ‘नई योजना के तहत किसानों को 33 से 60 फीसदी फसल नुकसान के लिए मदद मिलेगी और सर्वेक्षण सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। ये योजना किसानों के लिए एक नया लॉलीपॉप है और हम मांग करते हैं कि गुजरात में बीमा कंपनियों द्वारा इकट्ठा प्रीमियम पर CAG द्वारा ऑडिट किया जाए।’
दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के के संस्थापक डॉक्टर प्रवीण तोगड़िया ने सरकार की नई योजना का स्वागत किया है। हालांकि दो बिंदुओं पर उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि सरकार को इसका खंडन करना चाहिए कि भारी बारिश की घोषणा तब ही की जाएगी जब 48 घंटों में 25 इंच वर्षा हो और 28 दिन तक बारिश ना होने पर सूखा। इस योजना में जंगली जानवरों और मवेशियों के कारण फसल हानि, नहर के टूटने और अन्य कारणों को भी शामिल करना चाहिए।