कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Congress leader Rahul Gandhi) ने सूरत की अदालत के फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं अब गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति गीता गोपी ने बुधवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।

राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज चंपानेरी ने बुधवार सुबह न्यायमूर्ति गीता गोपी की अदालत के समक्ष 29 अप्रैल को सुनवाई के लिए उनकी याचिका को तत्काल सुनवाई की मांग की थी।

जज के सुनवाई से पीछे हटने के बाद सेशंस कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई तय नहीं हो पाई है। 25 अप्रैल को गुजरात हाईकोर्ट में राहुल गांधी ने अपने वकील के माध्यम से फैसले को चुनौती दी थी। जब राहुल गांधी के वकील पंकज चंपानेरी ने तत्काल सुनवाई की मांग की, उसके बाद अदालत ने कहा “मेरे सामने नहीं”। वहीं इसके बाद राहुल गांधी के वकील ने कहा कि अब मामले को किसी अन्य अदालत में रखने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को एक नोट भेजा जाएगा और चीफ जस्टिस सुनवाई के लिए सिंगल बेंच तय करेंगे।

राहुल गांधी के वकील ने कहा कि निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वालों की याचिका गीता गोपी ही सुनती हैं, इसलिए उनके सामने मामले को रखा गया था। उन्होंने कहा कि जब अदालत ने पहले मामले को बुधवार को अदालत के समक्ष रखने के लिए कहा था, लेकिन जब सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने सुनवाई को खुद को अलग कर लिया।

2019 में चुनाव प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम पर टिप्पणी की थी। इसके बाद इसके खिलाफ सूरत कोर्ट में याचिका दायर की गई थी और उस पर पिछले महीने ही फैसला आया है। सूरत कोर्ट के फैसले में राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई, जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई और उन्हें बंगला भी खाली करना पड़ा था। इस पूरे मामले के बाद राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई, जिसके बाद राहुल गांधी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।