Gujarat News: गुजरात सरकार द्वारा आश्रय गृहों को चलाने के लिए वित्तीय सहायता देने में विफल रहने के विरोध में गाय आश्रय गृह के ट्रस्टियों ने गायों को सड़क पर छोड़ दिया है। गुजरात में पंजीकृत पशु आश्रय गृहों के लिए धन जारी नहीं करने पर सरकार से नाराज धर्मार्थ ट्रस्ट गायों को सरकारी दफ्तरों में छोड़ दे रहे हैं।
आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा का बहिष्कार करने के आह्वान के बीच, बनासकांठा के तालुकाओं में हजारों गायों के उप-मंडल मजिस्ट्रेट के कार्यालयों और अदालतों जैसे सरकारी भवनों में प्रवेश करने का वीडियो वायरल हो रहा है। रविवार तक ट्रस्टों द्वारा संचालित लगभग 1750 गौशालाएं इस आंदोलन में शामिल हो गए थे। इन आश्रय गृहों में 4.5 लाख से अधिक मवेशी हैं।
विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बहिष्कार का ऐलान: शुक्रवार को उत्तरी गुजरात के बनासकांठा और पाटन जिलों में मवेशियों को सड़कों पर छोड़ दिया गया था। वहीं, कच्छ में रविवार को शेल्टर चलाने वालों ने सरकार को चाबियां सौंपते हुए कहा कि वे आगामी चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं देंगे। इंडियन एक्सप्रेस ने जिन संगठनों से बात की, उन्होंने कहा कि सोमवार से गुजरात के शेष सौराष्ट्र और मध्य जिलों में भी इसी तरह के आंदोलन देखे जाएंगे।
उन्होंने यह भी दावा किया कि कई गायें अभी भी सड़कों पर और सरकारी परिसरों में हैं, कुछ वापस आ गई हैं। गुजरात गौ सेवा संघ ने दावा किया कि विरोध प्रदर्शनों पर तीन जिलों के लगभग 70 लोगों को कुछ समय के लिए हिरासत में लिया गया था। सूत्रों के मुताबिक बनासकांठा के भाजपा नेता राज्य सरकार के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए गांधीनगर पहुंच गए हैं।
मसले का जल्द समाधान: कृषि, पशुपालन और गाय प्रजनन मंत्री राघवजी पटेल का कहना है कि सरकार विरोध और उसके कारणों से चिंतित है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि इस मसले का जल्द समाधान हो। आश्रयों को धन जारी करने में देरी पर पटेल ने कहा, “हमने बजट में प्रावधान किया था और 1 अप्रैल से इसे लागू करने की भी घोषणा की थी, लेकिन प्रशासनिक अड़चनों के कारण ऐसा नहीं किया जा सका। हालांकि, एक-दो दिन में सकारात्मक समाधान निकल आएगा।”