आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार ( 6 जून, 2022) को उत्तरी गुजरात के मेहसाणा में रोड शो किया। उन्होंने तीन दशक से गुजरात की सत्ता पर काबिज भाजपा को उखाड़ फेंकने की बात कही। इस दौरान केजरीवाल ने गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सी आर पाटिल पर भी निशाना साधा।

केजरीवाल ने दो महीने में राज्य में अपने चौथे ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा, ‘लोग मुझे बताते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल हैं, लेकिन असली मुख्यमंत्री पाटिल साहब हैं, पटेल नहीं।’ वह कई बार कह चुके हैं कि गुजरात के सीएम पटेल का रिमोट कंट्रोल गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल के हाथ में है।

बता दें, उत्तरी गुजरात में मेहसाणा, पाटीदार देश का दिल है और 2015 के हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले आरक्षण आंदोलन का केंद्र है। पिछले सात वर्षों में इस समुदाय के दो मुख्यमंत्री रहे हैं – आनंदीबेन पटेल, भूपेंद्र पटेल और एक डिप्टी सीएम नितिन पटेल। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि वहां पटेल समुदाय का अच्छा वर्चस्व है।

आम आदमी पार्टी को पता है कि गुजरात में अपनी राजनीति को मजबूत करने के लिए उसको पाटीदार समुदाय में घुसपैठ करके ही कुछ हासिल हो सकता है। राज्य की आबादी का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा पाटीदार समुदाय का है। पाटीदार समुदाय मेहसाणा के अलावा उत्तरी गुजरात, सौराष्ट्र, अहमदाबाद, गांधीनगर (मध्य गुजरात) और सूरत में फैला हुआ है।

गुजरात की राजनीति में पाटिदारों का दमखम माना जाता है। पाटीदार समुदाय धनबल के साथ-साथ सियासत में भी काफी दखल रखते हैं। पाटीदार राजनीतिक तौर पर सूबे की कुल 182 सीटों में से करीब 70 विधानसभा सीटों पर काफी मजबूत असर रखते हैं। वे तीन दशकों से अधिक समय से बीजेपी के प्रबल समर्थक रहे हैं।

मेहसाणा के सात निर्वाचन क्षेत्रों में से – खेरालू, उंझा, काडी (एससी आरक्षित), विसनगर, बेचाराजी, विजापुर और मेहसाणा – 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पांच सीटें जीती थीं और कांग्रेस ने दो। बाद में उंझा से कांग्रेस की एक विधायक आशा पटेल ने इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गईं। हालांकि, पिछले साल डेंगू के कारण उनका निधन हो गया था। 1984 में, जब भाजपा के पास पूरे भारत में सिर्फ दो सीटें थीं, उनमें से एक मेहसाणा थी, जिसका प्रतिनिधित्व ए के पटेल करते थे।

इन सबके बावजूद आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ने की उम्मीद करती है। मेहसाणा में 2021 के सूरत निकाय चुनावों में अपने प्रदर्शन को उसने साबित किया है। पार्टी को यह भी पता है कि हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने के बाद वह संभावित रूप से मेहसाणा और अन्य पाटीदार क्षेत्रों में उनके द्वारा खाली किए गए भाजपा विरोधी स्थान में प्रवेश कर सकती है।

बता दें, हार्दिक पटेल गुजरात के पाटीदार आंदोलन से रातोंरात देश की सुर्खियां बन गए थे। 2014 में सार्वजनिक जीवन का आगाज किया था और सरदार पटेल ग्रुप से जुड़े। उन्होंने सितंबर 2015 में पटेल नवनिर्माण सेना का गठन किया। मकसद कुर्मी, पाटीदार और गुर्जर समुदाय को ओबीसी में शामिल करना और उन्हें सरकारी नौकरियां दिलाना था।

पाटीदार आंदोलन का असर ऐसा हुआ कि 2017 के विधान सभा चुनावों में भाजपा की सरकार तो बनी, लेकिन 1990 के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि उसे राज्य की 182 सीटों में से 99 सीटें मिली। इसके पहले 1995 से वह लगातार 100 से ज्यादा सीटें जीतती आ रही थी।

वहीं हार्दिक पटेल के बीजेपी में आने से पाटीदार समुदाय का समर्थन बीजेपी को मिलने की उम्मीद है। इस लिहाज से पटेल का बीजेपी में शामिल होना पाटीदार राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। पटेल ने ऐसे समय में बीजेपी ज्वाइन की है, जब इसी साल राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं।