गुजरात के मोरबी में केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से हुए हादसे में खुलासा हुआ है कि पुल को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था। यहां पुल की क्षमता से ज्यादा लोग पहुंचे, जिस कारण यह पुल टूटा है। पुल की क्षमता 100 लोगों की थी, लेकिन 500 लोग पुल पर पहुंच गए। इस वजह से पुल इतनी भीड़ का बोझ सह नहीं कर पाया और वह टूट गया। वहीं, अब बताया जा रहा है कि नगरपालिका की तरफ से भी पुल को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला था। बचाव कार्य यहां जारी है।
ब्रिज की मरम्मत की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है। ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 तक यानी 15 सालों के लिए मोरबी नगरपालिका के साथ एक समझौता किया है। ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, टोल वसूलने, रखरखाव और स्टाफ प्रबंधन का काम ओरेवा ग्रुप ही देखेगा। 230 मीटर लंबा यह ऐतिहासिक पुल मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए धरोहर है।
140 साल पहले ब्रिटिश राज में इस पुल को बनाया गया था। उस वक्त पुल को बनाने में साढ़े तीन लाख का खर्च आया था। पुल को बनाने के लिए पूरा सामान इंग्लैंड से ही लाया गया था। 20 फरवरी, 1879 में इस पुल का उद्घाटन किया गया था।
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में हैं। वे राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर आए हैं। हादसे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री को बचाव अभियान के लिए तत्काल टीमें जुटाने का निर्देश दिया है। टीमें यहां बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
स्थानीय विधायक और राज्य मंत्री बृजेश मेरजा ने कहा, “पुल गिरने से कई लोग नदी में गिर गए। बचाव अभियान जारी है। ऐसी खबरें हैं कि कई लोग घायल हुए हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है।” प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब यह टूटा तो लटकते पुल पर कई महिलाएं और बच्चे थे।
मंत्री मेराजा ने एएनआई को बताया, “इस हादसे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 17 लोग इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। मुख्यमंत्री आ रहे हैं। घटना शाम करीब 6.40 बजे हुई।” यहां बचाव कार्य जारी है। बताया जा रहा है कि मरने वालों में बच्चे, महिलाएं और वृद्ध लोग शामिल हैं।
