Kerala Governor vs CM– केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को खुले तौर पर चुनौती देते हुए कहा है कि अगर मुख्यमंत्री मेरे द्वारा प्रदेश में राजनीतिक हस्तक्षेप का एक उदाहरण दिखा दें तो मैं अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। 

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में सीएम पिनाराई विजयन के द्वारा उनपर लगाए गए राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप को भी खारिज कर दिया।

सोना तस्करी को लेकर भी लगाया आरोप

सोना तस्करी घोटाले को लेकर भी राज्यपाल ने सीएम पर निशाना साधा। उन्होने तस्करी गतिविधि में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संरक्षण का भी आरोप लगाया और कहा “मैं देख रहा हूं कि तस्करी गतिविधियों को मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संरक्षण दिया जाता है। अगर राज्य सरकार, सीएमओ और सीएम के करीबी लोग तस्करी की गतिविधियों में शामिल हैं तो मेरे लिए हस्तक्षेप करने का आधार है। यह ऐसे मुद्दे हैं जिनमें मुझे हस्तक्षेप करना चाहिए।

साबित नहीं कर पाए तो क्या सीएम देंगे इस्तीफा ?

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर बोलते हुए कहा कि सीएम बार-बार कह रहे हैं कि मैं आरएसएस के लोगों को लाने के लिए ऐसा कर रहा हूं। अगर मैंने ऐसा किया है इस बात को वह साबित कर दें तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। साथ ही उन्होने केरल के सीएम को चुनौती देते हुए कहा कि अगर वह इसे साबित नहीं कर पाए तो क्या इस्तीफा देने के लिए तैयार होंगे? उन्होने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा “वह कह रहे हैं कि वह सभी को साथ लेकर चल रहे हैं और उन्होने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार किया है, कैसे? विश्वविद्यालयों में सीपीआईएम नेताओं के अयोग्य रिश्तेदारों को पदों पर बेठाकर ?

दोनों के बीच विवाद की क्या है वजह

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पिछले हफ्ते केरल के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से अपने पद से इस्तीफा देने को कहा था। जब सभी कुलपतियों ने 24 अक्टूबर की सुबह तक अपने इस्तीफे राज्यपाल को नहीं भेजे तो राज्यपाल ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा। नोटिस में 3 नवंबर 2022 तक जवाब मांगे गए हैं कि सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर के आदेश के बाद उनका अपने पदों पर बने रहने का क्या कानूनी अधिकार है?

इस मामले के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आदेश की आलोचना करते हुए कहा था कि यह एक अलोकतांत्रिक कदम है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल अपनी शक्तियों से अधिक शक्तियों का प्रयोग कर रहे है। उनका यह निर्देश अलोकतांत्रिक है और कुलपतियों की शक्तियों का अतिक्रमण है।