रिसर्जेंट राजस्थान समिट के 200 से ज्यादा एमओयू प्रदेश सरकार निरस्त करेगी। बता दें कि पिछली भाजपा सरकार ने नवंबर 2015 में आयोजित रिसर्जेंट राजस्थान समिट में 3.37 लाख करोड़ रुपए के 470 एमओयू किए थे। इन एमओयू के अनुसार इन कंपनियों को प्रदेश में पर्यटन, खनन और मेडिकल जैसे क्षेत्रों में निवेश करना था। जिसके एवज में सरकार उन्हें जमीन और टैक्स में रियायत देती।

एमओयू तो साइन किए लेकिन निवेश में नहीं दिखाई रुचि: जानकारी के मुताबिक अनिल अंबानी की रिलायंस और गौतम अडानी का अडानी ग्रुप जैसे कंपनियों ने उस वक्त एमओयू साइन किए थे लेकिन निवेश में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा के मुताबिक 470 एमओयू में से 124 एमओयू पर ही काम शुरू हुआ है। वहीं निवेश भी सिर्फ 12 हजार करोड़ का ही आया है। ऐसे में जिन कंपनियों का काम शुरू नहीं हुआ है। उन्हें नोटिस दिए जाएंगे। वहीं कंपनियों के फिर भी कोई एक्शन नहीं लेने पर एमओयू को रद्द कर दिया जाएगा।

किस क्षेत्र में सबसे कम हुआ काम: एमओयू के मुताबिक काम में सबसे अधिक विफलता पर्यटन, खनन और मेडिकल में देखने को मिली। इनमें ढाई लाख करोड़ रु. से ज्यादा के करीब 240 एमओयू किए गए। इन्हीं में ड्रॉप आउट रेट सबसे ज्यादा रही। टूरिज्म में 10,442 करोड़ के 221 एमओयू और मेडिकल में करीब 2700 करोड़ रु. के 14 एमओयू। इनमें कोई भी प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ। माइंस में 76 हजार करोड़ के 25 एमओयू। निवेश सिर्फ 1500 करोड़ आया। हाउसिंग बोर्ड में सिंगापुर कॉरपोरेशन से एमओयू हुआ था।

निवेशकों ने समिट के बाद फॉलोअप नहीं किया: जानकारी के मुताबिक 470 में से 154 एमओयू पिछली सरकार में ही निरस्त माने जा चुके थे। जानकारी के मुताबिक निवेशकों ने समिट के बाद किसी भी तरह का फॉलोअप नहीं किया। वहीं रिन्युएबल एनर्जी में रिलायंस एनर्जी, अडानी, एजर पावप इंडिय जैसी कई कंपनियों ने 1.90 लाख करोड़ के एमओयू किए। हालांकि रिलायंस एनर्जी, एजर पावर इंडियन, सन एडिसन ने एमओयू के बाद फॉलोअप नहीं किया।

 

उद्योग मंत्री का क्या है कहना: उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि ऐसे एमओयू निरस्त करेंगे, जिन्होंने निवेश के लिए रुचि नहीं दिखाई। अब दूसरों को मौका देंगे।