स्कूलों में बच्चों को लाने ले जाने वाली दिल्ली परिवहन (डीटीसी) की बस सेवा दिल्ली की बीजेपी सरकार फिर शुरु करेगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से इस बाबत की गई अपील के बाद विभाग की ओर से दी गई सूचना में यह कहा गया है कि साल 2022 से बंद की गई इस सेवा को दोबारा शुरु किया जाएगा। हालांकि सोमवार (21 अप्रैल) को लिए फैसले में डीटीसी के प्रबंधक ने यह नहीं बताया है कि यह सेवा कब से अमल में आ जाएगी।

दरअसल ईस्ट आफ कैलाश निवासी करण अग्रवाल की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से पहल पर डीटीसी के प्रबंधक (परिवहन) एके राव ने कहा है कि ‘यह सूचित किया जाता है कि वर्तमान में आम यात्रियों के लिए सामान्य बस सेवाएं जारी रखते हुए, डीटीसी कुछ स्कूलों में उनकी आवश्यकता के अनुसार बसें उपलब्ध करा रहा है, भले ही सीएनजी बसों की उपलब्धता कम हो, क्योंकि (सीएनजी बसें अपने संचालन का समय पूरा करने वाली हैं)। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि डीआईसी स्कूल बस सेवा के लिए इलेक्ट्रिक बसों का उपयोग करने की प्रक्रिया में है।’

बच्चों के लिए डीटीसी की सेवा 2022 से बंद है

इससे पहले दिल्ली में बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए विशेष डीटीसी बस सेवाओं की बहाली की अपीलीय पत्र में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को लिखे पत्र में कहा गया था कि बच्चों के लिए दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की सेवाओं को 2022 में बंद है। इस एकतरफा फैसले से अभिभावकों में गंभीर दहशत और पीड़ा पैदा हुई और स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई। ऐसी परिस्थितियों में, निजी वैन/कैब का सहारा लिया जाता है जो स्कूल बसों के विपरीत, यात्रा की गई दूरी के बावजूद मानक किराया नहीं लेते हैं। इसके अलावा, वैन कैब चालकों द्वारा मासूम बच्चों पर यौन उत्पीड़न और अपराध जैसी चौंकाने वाली और परेशान करने वाली घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। उच्च अपराध दर और यातायात भीड़भाड़ वाले घनी आबादी वाले शहर में स्कूल जाने वाले बच्चों को सुरक्षित, किफायती और विश्वसनीय परिवहन से वंचित करना भारत के संविधान, 1950 द्वारा मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकारों से वंचित करने के समान है। सन 2022 से, सरकार ने डीटीसी बसों की तत्कालीन क्षमता और संसाधनों में वृद्धि करते हुए सैकड़ों बसें खरीदी, लेकिन नई खरीद के बावजूद, सरकार स्कूली बच्चों के लिए अपनी बसों को तैनात नहीं कीं। बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए परिवहन को स्कूल की दया पर छोड़ना किसी कीमत पर सही नहीं ठहराया जा सकता है।

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मुख्यमंत्री से की गई अपील में विधिक फैसलों का भी जिक्र है। मसलन, कहा गया है कि अनुच्छेद 21 के तहत स्कूली बच्चों को यात्रा करने का अधिकार और बच्चों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करने के लिए राज्य पर इसी तरह के दायित्व को माननीय उच्च न्यायालयों द्वारा स्पष्ट रूप से मान्यता दी गई है। और इस संदर्भ में सरकार को बताया गया कि ‘मद्रास उच्च न्यायालय ने भी कहा कि स्कूली बच्चों के लिए विशेष रूप से बसें प्रदान की जानी चाहिए और उनकी संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।’

बहरहाल, दिल्ली की नई भाजपा सरकार ने कहा है कि ‘डीटीसी कुछ स्कूलों में उनकी आवश्यकता के अनुसार बसें उपलब्ध करा रहा है।’ जवाबी पत्र में डीटीसी प्रबंधन ने स्कूल सेल की स्थापना (28-10-88) के समय के आदेश के तहत जारी दिशा निर्देश भी उद्धृत किए हैं। जिसमें कहा गया है कि ‘सार्वजनिक-सरकारी स्कूलों को डीटीसी बसें किराए पर देने के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी दी गई है, इस शर्त के अधीन कि स्कूलों को बसें किराए पर देने का काम ऐसा हो जिससे आम यात्रियों के लिए सामान्य सेवाएं प्रभावित न हों।’

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