उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक सिलाई केंद्र चलाने वाली सामान्य महिला केवल लालच में मां विन्ध्यवासिनी शेल्टर होम की प्रभावशाली मैनेजर बन गयी । इस शेल्टर होम पर सेक्स रैकेट चलाने का आरोप है। शेल्टर होम की मैनेजर गिरिजा त्रिपाठी (करीब 50 साल) का जन्म खुखुंडू पुलिस स्टेशन के रूपाई गांव में हुआ था। उनकी शादी देवरिया के नूनख्वार गांव के मोहन त्रिपाठी से हुई थी। मोहन भटनी शुगर मिल में एक छोटा कर्मचारी था जबकि गिरिजा अपनी आर्थिक स्थित ठीक करने के लिये सिलाई केंद्र चलाती थी। गिरिजा को अपनी ताकत का एहसास तब हुआ जब भाटनी शुगर मिल के प्रबंधन से अपने पति की नौकरी के लिये संघर्ष किया। भटनी के रहने वाले राजेश कुमार ने बताया कि ‘शुगर मिल की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मोहन की नौकरी चली जाने का खतरा उत्पन्न हो गया तब गिरिजा ने मिल प्रबंधन के खिलाफ जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया और आखिर में मिल प्रबंधन को झुकना पडा ।

भटनी में प्रौढ. शिक्षा केंद्र बनने पर वह प्रशासनिक अधिकारियों के संपर्क में आई और वह प्रौढ. लोगों को प्रशिक्षण भी देने लगी। बाद में देवरिया चली आयी और यहां रेलवे स्टेशन रोड पर मां विन्ध्यवासिनी सेवा संस्थान नामक शेल्टर होम और स्वंय सेवी संस्था चलाने लगी। करीब दो दशक तक गिरिजा ने काफी पैसा कमाया और उसने गोरखपुर में एक वृध्दा आश्रम खोल दिया, इसके अलावा देवरिया के राजला इलाके और रेलवे स्टेशन रोड पर शेल्टर होम भी चलता रहा।

उसकी बड़ी बेटी कनकलता फिलहाल पुलिस हिरासत में है और वह जिला प्रोबेशन अधिकारी गोरखपुर में संविदा पर काम करती है । उसका पुत्र एक शिक्षित अध्यापक है । छोटी बेटी कंचनलता देवरिया के शेल्टर होम की अधीक्षिका थी। गिरिजा के देवरिया में शेल्टर होम खोलने के साथ ही उसके काफी रसूखदार लोगों से संबंध हो गये । इसके सबूत वह फोटोग्राफ है जिनमें वह नेताओं और अधिकारियों के साथ दिख रही है। उसकी स्वंय सेवी संस्था का लाइसेंस लाइसेंस 2017 में समाप्त हो गया था इसके बावजूद प्रशासन उसे अनेक सरकारी कार्यक्रमों में आमंत्रित करता रहा । यहां तक कि इस वर्ष नौ फरवरी में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में भी उसे बुलाया गया था ।