Ghaziabad Missing Man Reunited With Family After 31 Years Case Update: राजू नाम का एक शख्स हाल ही में गाजियाबाद में अपने परिवार से मिला, जो 31 साल पहले अपहरण के बाद वापस लौटा था। राजू के चेहरे पर खुशी के आंसू थे और उसकी मां ने उसे गले लगाया। हालांकि, इस दिल को छू लेने वाली कहानी में कुछ ही दिनों बाद एक नया ट्विस्ट आया, क्योंकि देहरादून में रहने वाले एक अन्य परिवार का कहना है कि राजू ने पांच महीने पहले ही दावा किया था कि वह उनका बेटा है। राजू की रहस्यमयी कहानी ने गाजियाबाद और देहरादून पुलिस को जांच में उलझा दिया है। हालांकि, अब उसकी पोल खुलती हुई नजर आ रही है और अब वह ना तो देहरादून वाले परिवार के साथ जाने के लिए कह रहा है और ना ही खोड़ा वाले परिवार के साथ रहना चाह रहा है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उसने पुलिस से हाथ जोड़कर कहा है कि मैं झाड़ू-पोंछा कर लूंगा, पर मुझे थाने में ही रहने दो। अब किसी के भी साथ नहीं जाना है। इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि अब ना तो किसी का बेटा होने का दावा करूंगा और अगर मुझे थाने में ना रख पाओं तो जेल में भेज दो। इससे पुलिस की शक की सुई और भी ज्यादा गहरा गई है।

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पुलिस राजू की कॉल डिटेल निकाल रही

इस बात का खुलासा तो पहले ही हो चुका है कि उसने देहरादून में फोन का यूज किया था। पुलिस ने इसकी डिटेल भी जमा कर ली है। उसे कॉन्टैक्ट नंबर भी मिल गया है। इसकी कॉल डिटेल भी निकलवाई गई है। इससे यह पता चल जाएगा कि वह किस-किस से संपर्क में रहा था। राजू ने खुद को खोड़ा के परिवार का बताया था, लेकिन अब वह भी उसे अपने साथ में रखने से मना कर रहे हैं। इस परिवार का कहना है कि अगर डीएनए टेस्ट में वह उनका खोया हुआ बेटा राजू ही निकलता है, तभी उसको साथ में रखेंगे वरना हम उसे अपने साथ में नहीं रखेंगे।

24 नवंबर का दिन था जब राजू खोड़ा जा पहुंचा था। उसने बताया था कि वह 12 साल की उम्र में किडनैप हो गया था। उसको करीब 20 साल तक तो जैसलमेर में बंधक बनाकर रखा हुआ था। किसी तरह वह गाजियाबाद जा पहुंचा और शहीद नगर की रहने वाली लीलावती ने उसकी पहचान अपने बेटे के तौर पर की थी। लीलावती अपने बेटे को इतने सालों बाद देखकर जश्न मना रही थीं फिर कहानी में एक मोड़ आता है और देहरादून के रहने वाले कपित देव शर्मा और उनकी पत्नी आशा शर्मा शहीदनगर पहुंचते हैं और बताते हैं कि राजू की कहानी एकदम फर्जी है।

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दिल्ली में काम के बहाने आया राजू

उन्होंने खुलासा किया कि राजू उनके पास भी करीब पांच महीने रहकर आया है। वह दिल्ली यह कहकर आया कि वहां पर जाकर काम करेगा। जब इस मामले पर पुलिस ने सवाल किया तो उसने कोई भी जवाब नहीं दिया और चुप रहा। पुलिस उसको थाने लेकर पहुंची और अब वह जिद पर अड़ गया है कि अब उस को किसी भी जगह नहीं जाना है। पुलिस की सख्ती के बाद में उसने मान लिया कि वह देहरादून में भी रहा था।

लोगों के मन में कई सवाल

डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि राजू को फिलहाल थाने में ही रखा गया है। उसके फोन की कॉल डिटेल निकलवा रहे हैं। शहीदनगर का परिवार कह रहा है कि वह अपने खर्च पर उसका डीएनए टेस्ट करवाएगा। इस मामले में सच्चाई सब के सामने आ जाएगी। राजू की कहानी के बाद अब लोग इसी सवाल में उलझ रहे हैं कि आखिर उसने यह सब क्यों किया। जब देहरादून के परिवार ने अपना बेटा मान लिया था तो उसको वहां से भागने की क्या जरूरत थी। साथ ही उसने पहले कितने परिवारों के साथ में ऐसा किया है। राजू ने बताई थी अपनी आपतबी पढ़ें पूरी खबर…