फिल्में देखकर असल जिंदगी में गैंगस्टर बनने वाले राहुल रमाकांत जाधव से जुड़ी कई अहम बातें सामने आई हैं। रियल लाइफ में गैंगस्टर बनने से पहले उसने अंडरवर्ल्ड पर साल 1998 में आई फिल्म ‘सत्या’ एक साल में करीब 18 बार देखी। वो अपराधों को अंजाम देने के लिए फिल्म के मुख्य किरदार भिखू म्हात्रे के नक्शेकदम पर चला।

बताया जाता है कि सिनेमा हॉल में जब भिखू म्हात्रे बोलता- मुंबई का किंग कौन? इसके जवाब में राहुल तपाक से बोलता ‘राहुल रमाकांत जाधव।’ उसके इस जवाब से फिल्म देख रहे आसपास बैठे लोग खूब हंसते। उसने जब पहली बार ये फिल्म देखी, तब इसके एक साल के भीतर फिल्म 18 बार देख डाली। वो फिल्म देखता और भिखू के करिदार को अपनी असल जिंदगी के अपराध में अपनाता चला गया। उसने 21सदी सदी की शुरुआत में संगठित अपराध की दुनिया में कदम रखा।

राहुल के दोस्त और सह अभियुक्त डेविड मचमच ने बताया वो फिल्म से इतना प्रभावित था कि उसने अपनी गैंग का उपनाम तक भिखू रख लिया। डेविड ने बताया कि शुरुआत में उसने हमें खुद को इसी नाम से बुलाने के लिए कहा। मगर जैसे-जैसे दिन बीतने लगे उसने भिखू के किरदार की तरह रहना शुरू कर दिया। अंडरवर्ल्ड में, यहां तक पुलिस भी उसे भिखू के नाम से बुलाती।

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राहुल रामाकांत मुबंई धमाकों से पहले तक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को अपना हीरो मानता था। हालांकि जब 1993 के बम धमाकों दाऊद का नाम आया तो वो हैरान रह गया। उसे निराशा हुई। दाऊद के पुतले जलाए गए और ‘देशदोही दाऊद इब्राहिम’ के नारे लगाए गए। राहुल कहता था, ‘वो मेरा हीरो था। मुझे समझ नहीं आया कि उसने ऐसा क्यों किया। वो एक गैंगस्टर था ना की आतंकवादी।’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गैंगस्टर बनने के बाद राहुल जाधव ने अपनी 9 एमएम की पिस्तौल के बिना कभी घर नहीं छोड़ा। वो अपराधी रवि पुजारी का मुख्य रणनीतिकार भी रहा।