उत्तर प्रदेश में गोवध के आरोपियों पर फिलहाल गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई नहीं हो सकेगी। राज्य सरकार ने हाल में राज्य के सभी थानों को एक सर्कुलर जारी कर दिया है। गृह विभाग के सचिव मणि प्रसाद मिश्र ने बुधवार को बताया कि प्रदेश सरकार ने इसी साल 20 जनवरी को एक अध्यादेश पारित किया था, जिसमें गोवध समेत विभिन्न किस्म के 10 अपराधों को गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई के दायरे में लाने की बात कही गयी थी।
उन्होंने बताया कि संवैधानिक रूप से कोई अध्यादेश लागू किए जाने के छह हफ्ते तक वैध रहता है, बशर्ते बीच में विधानमण्डल का कोई सत्र ना हो। अगर सत्र चल रहा हो और अध्यादेश की जगह कानून नहीं बन पाता है, तो वह अध्यादेश सत्र के पहले दिन की कार्यवाही से छह हफ्तों के अंदर अपने आप निष्प्रभावी हो जाता है। ऐसे में इस अध्यादेश की अवधि पिछले अप्रैल माह में ही खत्म हो चुकी थी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने इस सिलसिले में एक कानून भी पारित किया था लेकिन उस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति अभी नहीं मिली है। इसी बीच, इस मामले में उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में एक याचिका दायर हुई थी और अदालत ने सरकार से उसके रुख के बारे में पूछा था। इस पर सरकार ने कहा था कि मामला अभी राष्ट्रपति के यहां लंबित है। ऐसे में सरकार ना तो नया कानून बना सकती है और ना ही नया अध्यादेश ला सकती है।
लिहाजा सरकार ने फिलहाल पुरानी व्यवस्था लागू करते हुए गत 11 दिसंबर को सभी थानों को जारी सर्कुलर में गोवध, सूदखोरी, मवेशियों की तस्करी, यौन शोषण, नकली दवाएं बेचना तथा वन उत्पादों की तस्करी समेत 10 विभिन्न अपराधों के मामले में गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई ना करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही इन अपराधों को गैंगस्टर कानून के तहत कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा।