भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की तमाम कोशिशों के बावजूद कुछ लोग इस काम में जी जान से लगे हुए हैं। उन पर कार्रवाई का कोई असर नहीं पड़ता है। लखनऊ में बिजली के मीटरों से छेड़छाड़ कर उसको धीमा करने वाले एक गिरोह को स्थानीय अफसरों ने पकड़ा तो इसका खुलासा हुआ। ये लोग इस काम के लिए पांच हजार रुपए लेते हैं।
हाल ही में ऐसे ही एक दलाल युवक ने एक व्यक्ति को फोन करके कहा कि अगर वह उसे पांच हजार रुपए दे दे तो उनके घर के मीटर को धीमा कर देंगे। इससे बिल कम आएगा। दरअसल दलाल युवक ने जिनको फोन किया था, वह लखनऊ विद्युत आपूर्ति प्रशासन (एलईएसए) के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर थे। दलाल युवक को इसकी जानकारी नहीं थी कि वह जिसको फोन कर रहा है वह एग्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं।
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अरविंद सिंह ने दलाल युवक से कहा कि वह आकर उनके घर का मीटर धीमा कर दे। वे पांच हजार रुपए दे देंगे। घर में उन्होंने उसके आने से पहले लखनऊ विद्युत आपूर्ति प्रशासन (एलईएसए), ट्रांस-गोमती की एग्जीक्यूटिव इंजीनियर इंदिरानगर, घनश्याम के नेतृत्व में एक टीम को बुला लिया था।
फोन करने वाले प्रशांत गुप्ता जैसे ही अपने सहयोगी दीपक कुमार मौर्य के साथ वहां पहुंचा, टीम ने दोनों को पकड़ लिया। उनके पास एक कंपनी का आईडी कार्ड, मीटर सीलिंग बिलिंग बुक, पॉलीकार्बोनेट मीटर सील और दो स्मार्टफोन भी बरामद किए जिनमें मीटर से छेड़छाड़ के वीडियो थे।
आरोपी प्रशांत एक फर्म में पहले संविदा पर काम करता था। उस फर्म को 2020 में लखनऊ में 28,000 स्मार्ट मीटर लगाने का काम सौंपा गया था। एफआईआर के मुताबिक, फर्म के परियोजना प्रबंधक जय भगवान पाल ने प्रशांत की पहचान एक पूर्व कर्मचारी के रूप में की, जिसने अपना आईडी कार्ड जमा नहीं किया था।
पाल ने कहा, ‘प्रशांत और दीपक के पास से मिले उपकरण कंपनी के नहीं है। प्रशांत फर्म में इलेक्ट्रीशियन का काम करता था और एक साल पहले कंपनी छोड़ चुका था।’ फिलहाल अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आरोपी प्रशांत के गिरोह में और भी कोई है कि नहीं, तथा अब तक वह कितने लोगों के घरों में मीटर से छेड़छाड़ कर चुका है।