Mau MLA Abbas Ansari Life: उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट से विधायक अब्बास अंसारी ने 9 अप्रैल को अपने वालिद के कब्र पर चादर चढ़ाई और फातिहा पढ़ी। मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद शहर के कब्रिस्तान कालीबाग में दफनाया गया था।

स्थानीय लोगों ने बताया कि अब्बास, जो कासगंज जेल में बंद होने के कारण अपने पिता के जनाजे में शामिल नहीं हो सके थे। वो अपनी पिता की कब्र पर पहुंचते ही रोने लगे। परिवार के करीबी सूत्रों मीडियो के साथ अब्बास अंसारी के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य भी साझा किए, जो दुनिया के शीर्ष दस स्कीट निशानेबाजों में से एक है और 2012 में फिनलैंड में आयोजित जूनियर विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

अब्बास के पिता गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी का 28 मार्च को निधन हो गया था। हालते बिगड़ने पर उनको यूपी के बांदा जिले के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में लाया गया था। यहां चिकित्सकों ने उनको मृत घोषित कर दिया था। 30 मार्च मुख्तार को भारी सुरक्षा के बीच ग़ाज़ीपुर में दफनाया गया। 63 वर्षीय व्यक्ति 2005 से यूपी और पंजाब में सलाखों के पीछे था और उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले थे। अंसारी के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि उन्हें जेल के अंदर जहर दिया गया, जिससे उनकी मौत हो गई।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को अपने पिता की कब्र पर जाने की अनुमति दी। साथ ही 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की भी अनुमति दी। 13 अप्रैल को वापस कासगंज लाया जाएगा अब्बास। करीब 17 महीने के बाद अब्बास अंसारी अपने घर पहुंचा है। वो नवंबर 2022 से जेल में बंद है।

बुधवार को अधिकारी अब्बास को पहले कासगंज से ग़ाज़ीपुर जेल लाए जिसके बाद उसे कब्रिस्तान ले जाया गया। गाजीपुर के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘अब्बास के लिए यह एक भावनात्मक क्षण था क्योंकि वह 17 महीने के बाद अपने गृहनगर का दौरा कर रहे थे। अब्बास आज जो हैं, वह अपने युवावस्था के दिनों में कभी नहीं थे, जब वह एक उभरते हुए स्कीट शूटिंग चैंपियन थे और ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन जिंदगी को कुछ और ही मंजूर था और वह जेल पहुंच गए।’

जब पिता मुख्तार जेल गए तो अब्बास 9 साल के थे

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से मऊ विधायक अब्बास सिर्फ नौ साल के थे, जब उनके पिता मुख्तार अंसारी 2005 में जेल गए थे। पत्रकार ने कहा कि यह मुख्तार की पत्नी और अब्बास की मां अफशां (अफसा) के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि अब्बास और उमर की परवरिश की जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। 12 फरवरी 1992 को जन्मे अब्बास ग़ाज़ीपुर शहर के सेंट जॉन्स स्कूल में पढ़ते थे। लेकिन उनकी मां ने अब्बास और उमर के साथ लखनऊ में रहने का फैसला किया। उन्होंने अब्बास का दाखिला लखनऊ के एक स्कूल में करा दिया। हालांकि, कुछ समय बाद, उन्होंने उसे आगे की पढ़ाई के लिए दून स्कूल भेज दिया।

शूटिंग में करियर बनाना चाहते थे अब्बास

अपने पिता मुख्तार अंसारी की तरह अब्बास खेल में रुचि रखते थे, अब्बास भी शूटिंग में एक बड़ा नाम बन गए। पत्रकार ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर कई चैंपियनशिप जीतने के बाद, एक समय ऐसा भी आया जब अब्बास शॉटगन शूटिंग में अपना करियर बनाने के लिए उत्सुक थे।”

2012 में अब्बास ने फिनलैंड में जूनियर विश्व कप में शॉटगन शूटिंग श्रेणी में पदक जीते और शीर्ष 10 अंतरराष्ट्रीय स्कीट निशानेबाजों में अपना नाम दर्ज कराया। 2013 में अब्बास ने 55वीं राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में स्कीट स्पर्धा के जूनियर वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। बाद में वह सीनियर स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता बने।

राजनीतिक सफर 2017 के चुनाव में हार के साथ शुरू हुआ

दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम ऑनर्स की डिग्री हासिल करने वाले अब्बास अपने पिता की अनुपस्थिति में भी अक्सर ग़ाज़ीपुर आते थे और उनका काम संभालते थे। पत्रकार बताते हैं कि अब्बास जेल में रहने के बाद भी अपने पिता के बढ़ते साम्राज्य और लोकप्रियता को देख रहे थे। 2012 में जब मुख्तार मऊ से विधायक बने, तब तक अब्बास ने मन बना लिया था कि वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं और राजनीति में शामिल होना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि 2017 अब्बास के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब उन्होंने राजनीति में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की। हालांकि परिवार अब्बास के फैसले के पक्ष में था, लेकिन मुख्तार इससे सहमत नहीं थे और इसलिए उन्होंने अपनी मऊ सीट नहीं छोड़ी। इसके बजाय, उन्होंने अब्बास को घोसी विधानसभा सीट से लड़ने के लिए कहा। लेकिन मुकाबला कठिन था। घोसी से बीजेपी ने फागू सिंह चौहान को मैदान में उतारा, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने अब्बास अंसारी को टिकट दिया। बीजेपी के चौहान ने अब्बास को करीब 8 हजार वोटों से हराया।

2019 में दर्ज हुआ पहला मामला

2019 में अब्बास के खिलाफ पहला पुलिस केस दर्ज किया गया था। इसके तुरंत बाद लखनऊ में पिता-पुत्र के खिलाफ सरकारी जमीन पर कब्जा करने का एक और मामला दर्ज किया गया। पत्रकार बताते हैं कि गिरफ्तारी से बचने के लिए अब्बास फरार हो गया, जिसके बाद लखनऊ पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए 25,000 रुपये के नकद इनाम की घोषणा की। जब 2021 में जयपुर में निकहत के साथ अब्बास की भव्य शादी की तस्वीरें वायरल हुईं तो अधिकारी दंग रह गए।

2022 में मऊ से पहला चुनाव जीता

2022 में समाजवादी पार्टी (एसपी) और सुहेलदेव बहुजन समाज पार्टी (एसबीएसपी) के बीच गठबंधन हुआ। एसबीएसपी ने अब्बास अंसारी को मऊ विधानसभा सीट से चुनाव टिकट दिया, जो पहले उनके पिता मुख्तार अंसारी के पास थी। बीजेपी ने अशोक सिंह को मैदान में उतारा। सिंह के भाई की हत्या में मुख्तार अंसारी आरोपी थे. हालांकि, क्षेत्र में मजबूत मुस्लिम-यादव-पिछड़ा केमिस्ट्री ने अब्बास के पक्ष में काम किया और उन्होंने लगभग 39,000 वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की।

इसी चुनाव के दौरान अब्बास के खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण और आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था। पत्रकार बताते हैं कि सत्ता में आने के तुरंत बाद, वह अपने पिता के नक्शेकदम पर चले और खुली जीप में साहसपूर्वक घूमते थे। चाहे वह राजनीतिक कार्यक्रमों में जाना हो या आज़मगढ़ के लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव के लिए प्रचार करना हो, वह एक खुले वाहन से सभाओं को संबोधित करते थे, जिससे लोगों का ध्यान आकर्षित होता था और पूर्वी यूपी के मुस्लिम बहुल इलाकों में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई थी।’

उसी साल अब्बास को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया

18 नवंबर, 2022 को एसबीएसपी विधायक अब्बास अंसारी को एक जांच में प्रवर्तन निदेशालय की प्रयागराज इकाई के साथ सहयोग नहीं करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और चित्रकूट जेल भेज दिया गया। एजेंसी ने अब्बास को प्रयागराज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब किया था।

10 फरवरी 2023 को अब्बास से उनकी पत्नी निकहत अंसारी गुपचुप तरीके से चित्रकूट जेल में मिलने पहुंचीं। एक गुप्त सूचना के बाद, तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक आनंद और पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला के नेतृत्व में चित्रकूट जिला प्रशासन की एक टीम ने जेल पर छापा मारा और उन्हें मिलते हुए पकड़ा। निकहत के पास से विदेशी मुद्रा और मोबाइल फोन बरामद हुए। मामला बढ़ा तो एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया, जिसने पाया कि निकहत को अब्बास से मिलवाने में जेल प्रशासन के कई लोग शामिल थे।

इसके बाद अब्बास समेत पांच आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। लोगों में निकहत का ड्राइवर नियाज़, सहयोगी शाहबाज़ आलम, साथ ही चित्रकूट के एसपी नेता फ़राज़ खान और एक कैंटीन सप्लायर शामिल थे। पत्रकार ने बताया कि एसआईटी ने मामले में जेल अधीक्षक अशोक कुमार सागर, जेलर संतोष कुमार और वार्डन जगमोहन की भी संलिप्तता पाई। इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। निकहत जमानत पर बाहर हैं, जबकि अन्य अभी भी जेल में हैं और अब्बास को 15 फरवरी, 2023 को चित्रकूट जेल से कासगंज जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था, और एक उच्च सुरक्षा बैरक में रखा गया था।

कासगंज जिला जेल के सूत्रों ने कहा कि अब्बास को 29 मार्च की सुबह अपने पिता की मृत्यु के बारे में पता चला, जिसके बाद वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सका और बैरक के अंदर ही रोता रहा। परिवार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर कर अब्बास को अपने पिता जनाजे में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। लेकिन पीठ द्वारा याचिका पर सुनवाई नहीं हो पाने के कारण अब्बास को जमानत नहीं मिल सकी।

इसके बाद परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने 9 अप्रैल को आदेश दिया कि अब्बास को अपने पिता की कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए उसे शाम तक गाजीपुर में उसके घर ले जाया जाए। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास को 11 और 12 अप्रैल को अपने परिवार के सदस्यों से मिलने की अनुमति दी। 13 अप्रैल को अब्बास को कासगंज जेल वापस ले जाया जाएगा जहां वह आर्म्स एक्ट के तहत बंद है।