केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर पहुंचे। राज्य में आतंकवाद के 30 साल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब केंद्रीय गृह मंत्री पहुंचे हो और अलगाववादी समूहों ने बंद का आह्वान नहीं किया हो। गृह मंत्री बनने के बाद अमित शाह पहली बार राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी पहुंचे।
रोचक बात है कि ना तो सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और ना ही मिरवाइज उमर फारुक के धड़े ने इस बार बुधवार को बंद का आह्वान किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार किसी भी अलगावादी संगठन की तरफ से कोई बयान भी जारी नहीं किया गया। इससे पहले तीन दशक में जब भी केंद्र सरकार की तरफ से कोई भी यात्रा होती थी।
अलगवावादी संगठन घाटी में हर बार बंद का आह्वान करते थे। इससे पहले 3 फरवरी को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू कश्मीर पहुंचे थे उस समय गिलानी, मीरवाईज और जेकेएलएफ चेयरमैन के संयुक्त नेतृत्व वाले जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) ने राज्य में पूरी तरह से बंद का आह्ववान किया था। यासीन मलिक अभी गिरफ्तार है।
इससे पहले अलगाववादियो ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की 10 सितंबर 2017 की यात्रा के दौरान भी बंद का आह्वान किया था। इस बार बुधवार को सभी अलगाववादी समूहों ने चुप्पी साधे रखी। इससे पहले शाह ने यहां सुरक्षा और विकास परियोजना से जुड़ी कई बैठकों की अध्यक्षता की।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह राज्य के गवर्नर सत्य पाल मलिक के साथ ही अन्य अधिकारियों के साथ बृहस्पतिवार को मुलाकात करेंगे। शाह यहां पार्टी नेताओं के साथ ही पंचायत सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे। हाई लेवल सिक्योरिटी मीटिंग में शाह ने सभी सुरक्षा एजेंसियों से राज्य में आतंकियों के खिलाफ कड़ा रवैया जारी रखने को कहा।
उन्होंने सिक्योरिटी प्रमुखों से सभी संवेदनशील क्षेत्रों को कवर करने को कहा गया है। इससे पहले राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने कहा था कि राज्य में अब परिस्थितियां बदल गई है। अलगाववादी संगठन अब बातचीत करने के लिए तैयार है। अलगाववादी नेता गिलानी ने कहा था कि यदि सरकार नेकनीयत से बातचीत करे तो हमें आगे बढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है।