Delhi News: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में सीएम रेखा गुप्ता ने सोमवार को कुछ निर्णायक कदम उठाए हैं। दिल्ली सचिवालय में सोमवार को एक हाई लेवल मीटिंग हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रदूषण फैलाने वाले कारकों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी। इनमें बिना वैध पीयूसी चालान को माफ न करने व दिल्ली-एनसीआर में पूल व शेयर ई-बसें चलाना शामिल है।

इस बैठक में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा सहित डीपीसीसी, लोक निर्माण विभाग और ट्रैफिक पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक में उन वाहनों को लेकर सख्त कदम अपनाने की बात कही गई जोकि बिना पीयूसी प्रमाण पत्र के सड़कों पर प्रदूषण फैला रहे हैं। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर दस हजार रुपए के भारी जुर्माने का प्रावधान है।

चालान नहीं किया जाएगा माफ

मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया कि अक्सर वाहन मालिक लोक अदालत का सहारा लेकर इस जुर्माने को बहुत कम करवा लेते हैं जिससे सजा का डर खत्म हो जाता है। वो अपने वाहनों को प्रदूषण मुक्त करवाने के प्रति गंभीरता नहीं दिखाते। लेकिन अब इनका चालान माफ नहीं किया जाएगा चाहे सरकार को न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाना पड़े। इसके अलावा निजी भागीदारी को बढ़ावा व प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार जल्द ही ओला-ऊबर जैसी प्रमुख कंपनियों से संवाद कर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में ‘पूल’ व ‘शेयर’ ई-बसें चलाने की संभावनाएं तलाशेगी। ये कंपनियां इलेक्ट्रिक बसें संचालित करती हैं, जिससे सड़कों पर निजी वाहनों का दबाव कम होगा और सार्वजनिक परिवहन अधिक पर्यावरण अनुकूल बनेगा।

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पांच दिन में सवा दो लाख से अधिक प्रमाणपत्र जारी

‘पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं तो ईंधन नहीं’ नियम के बाद राजधानी में पीयूसी प्रमाणपत्र की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। अधिकारियों के अनुसार पांच दिनों में सवा दो लाख से अधिक पीयूसी प्रमाणपत्र जारी किए गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 18 दिसंबर को 45,479, 19 दिसंबर को 49,612, 20 दिसंबर को 50,612 और 21 दिसंबर को 52,021 प्रमाणपत्र जारी किए गए। इस दौरान करीब 10,000 वाहन ऐसे पाए गए जो निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरे। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सभी पीयूसी सेंटरों को आधुनिक और उन्नत मशीनों से अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि जांच में कोई देरी न हो और परिणाम सही रहें।

ई-रिक्शा के लिए नए नियम बनेंगे

ई-रिक्शा के लिए भी सरकार नए नियम बनाने जा रही है क्योंकि ये ट्रैफिक जाम का एक बड़ा कारण बनते हैं। जाम के कारण वाहनों का फ्यूल ज्यादा लगता है जो सीधे तौर पर प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होता है। नई ‘ई-रिक्शा गाइडलाइन’ द्वारा उसके संचालन क्षेत्र और रास्ते को व्यवस्थित किया जाएगा ताकि सड़कों पर वाहनों की आवाजाही सुचारू बनी रहे।

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