हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में उप चुनाव में भाजपा की हार पर अपनी प्रतिक्रिया में संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि जब सरकारों की नीतियां जनता के हितों से मेल नहीं खाती हैं, तब क्या होता है, यह उसका संकेत है। उन्होंने हरियाणा के ऐलनाबाद निर्वाचन क्षेत्र इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय सिंह चौटाला की जीत पर खुशी जताई और कहा कि यह किसानों की जीत है। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में चौटाला ने जनवरी में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उपचुनाव हुए।

मोर्चा के नेताओं ने भाजपा की हार पर बोले, “हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का यह बयान कि संवाद ही किसी भी आंदोलन का एकमात्र समाधान है, और किसानों के संघर्ष के लिए भी यही रास्ता है, बिल्कुल सही है। हालांकि, यह भाजपा के पाखंड को दर्शाता है जो प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने को वह तैयार नहीं है।”

वार्ता का अंतिम दौर 22 जनवरी 2021 को हुआ था। इसके बाद सरकार ने वार्ता को फिर से शुरू करने से इनकार कर दिया। इस बीच सीएम खट्टर सहित कई भाजपा नेताओं ने किसानों के खिलाफ धमकी भरे बयान दिए, और हर संभव तरीके से आंदोलन को दबाने की कोशिश की है।”

इससे पहले इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के नेता अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा के ऐलनाबाद निर्वाचन क्षेत्र में हुए विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गोविन्द कांडा को 6,700 मतों से पराजित किया। कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बेनीवाल तीसरे स्थान पर रहे। चुनाव के लिए मतदान 30 अक्टूबर को हुआ था और इसके नतीजे मंगलवार को घोषित किये गए। अधिकारियों ने बताया कि आईएनएलडी के उम्मीदवार ने लगभग 66,000 मत प्राप्त किए।

इस सीट पर 19 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था जिनमें से ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवार थे। गोविन्द कांडा, हरियाणा लोकहित पार्टी के अध्यक्ष और विधायक गोपाल कांडा के भाई हैं और वह पिछले महीने भाजपा में शामिल हुए थे।

पंजाब और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में सिर्फ दो-तीन महीने दूर हैं, ऐसे में किसान ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे का इस्तेमाल बीजेपी के राजनीतिक बहिष्कार के लिए अभियान शुरू करने में करेंगे।

हालांकि इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के नेता अभय सिंह चौटाला ने ऐलनाबाद उपचुनाव में अपनी जीत को किसानों की जीत बताई है, लेकिन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चौटाला के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनकी जीत का कम अंतर दिखाता है कि लोगों ने उस मुद्दे को नकार दिया, जिस पर उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा दिया था।