उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने पिछले हफ्ते एक बलात्कार के मामले में (Surjeet Kumar v. State of Uttarakhand) आरोपी की शॉर्ट टर्म बेल को स्वीकार कर लिया। उच्च न्यायालय ने अल्पकालिक जमानत याचिका को इसलिए स्वीकार कर लिया ताकि वह और पीड़िता शादी कर सकें। आरोपी का नाम सुरजीत कुमार है।

फैसला सुनाते हुए जस्टिस रविंद्र मैथानी ने कहा कि यह बलात्कार का सरल मामला नहीं है। उन्होंने कहा, “बलात्कार के मामले को सरल बनाने वाले मामले में न्यायालय पक्षकारों के बीच विवाह को प्रोत्साहित नहीं कर सकता है। लेकिन यह बलात्कार का सरल मामला नहीं है।” बता दें कि यह एक ऐसा मामला था, जिसमें दोनों पक्षों की ओर से शादी तय हो गई थी। लेकिन बाद आरोपी ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और फिर उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

दर्ज एफआईआर के अनुसार आरोपी और पीड़िता ने एक-दूसरे से दोस्ती की और फिर उनकी शादी तय हो गई। इसके बाद कहा गया कि आरोपी ने पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में उससे शादी करने से इनकार कर दिया। आरोपी की ओर से अधिवक्ता भुवन भट्ट पेश हुए, जबकि राज्य सरकार की ओर से एजीए ललित मिगलानी और अधिवक्ता सोनिका खुल्बे पेश हुईं।

निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो विश्वसनीय जमानतें प्रस्तुत करने के बाद आरोपी को दो सप्ताह के लिए जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही निर्देश दिया गया है कि अल्पकालिक जमानत (Short term bail) की अवधि समाप्त होने पर आरोपी को संबंधित अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करना होगा।

बता दें कि पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा था कि अगर यदि एक विवाहित महिला से कहा जाता है कि वह परिवार के लिए घरेलू काम करे, तो इसकी तुलना घरेलू नौकरानी के काम से नहीं की जा सकती और इसे क्रूर नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक महिला की ओर से दर्ज कराए गये मामले पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। महिला ने अलग रह रहे पति और उसके माता-पिता पर घरेलू हिंसा और क्रूरता को लेकर केस दर्ज कराया था। इस मामले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।