UP News: उत्तर प्रदेश में उपद्रव करने वालों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी चेतावनी दी है। सीएम ने बलरामपुर में कहा, “कुछ लोगों को शांति और विकास अच्छा नहीं लगता है। लातों के भूत बातों से नहीं मानते हैं। इनको लगता है कि सरकार अब भी इनके सामने झुककर के काम करेगी। गद्दारों और देशद्रोहियों के प्रति सरकार जीरो टॉलरेंस के साथ काम करेगी।”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “हमारी संवेदना हर उस नागरिक के साथ है जो भारत को भारत माता के रूप में सम्मान देता है। भारत की परंपराओं और संस्कृति का सम्मान करता है। इन मूर्खों को यह भी नहीं पता कि आस्था के प्रतीकों को प्यार नहीं, सम्मान दिया जाता है। सम्मान और आस्था चौराहों पर प्रदर्शन करने की वस्तु नहीं है। आज चौराहे-चौराहे पर जाकर कितने कमजोर और कायर हैं कि छोटे-छोटे बच्चों, जिनके हाथों में कलम होनी चाहिए, जिनके हाथों में नोटबुक होनी चाहिए, जिनके हाथों में गणित और विज्ञान की पुस्तक होनी चाहिए, कुछ लोग छोटे बच्चों को “आई लव मुहम्मद” के पोस्टर देकर समाज में अराजकता फैला रहे हैं।”
जहन्नुम में जाने का टिकट पहले से ही काटकर दे देंगे- योगी आदित्यनाथ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा, “इनको यह भी नहीं मालूम कि उनकी जिंदगी तो बर्बाद ही है, लेकिन ये लोग इन बच्चों की जिंदगी को भी बर्बाद करने पर उतारू हैं। सरकार इस तरह की अराजकता को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी और जिसने भी कानून को हाथ में लेने का प्रयास किया, जो भी राह चलते राहगीर पर हमला करेगा, जो भी बेटी की सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश करेगा, जो भी पर्व और त्योहारों में उपद्रव करने की कोशिश करेगा, उस को हम पहले से ही इस बारे में कह देंगे कि उस को हम बिना मांगे जहन्नुम में जाने का टिकट पहले से ही काटकर दे देंगे।”
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‘गजवा-ए-हिंद’ हिन्दुस्तान की धरती पर नहीं होगा- सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “कुछ लोग रहते तो भारत में हैं, लेकिन गजवा-ए-हिंद का नारा लेकर भारत के अंदर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने का कुत्सित कार्य कर रहे हैं। ‘गजवा-ए-हिंद’ हिन्दुस्तान की धरती पर नहीं होगा, ‘गजवा-ए-हिंद’ की कल्पना करना भी और उसका सपना देखना भी जहन्नुम में जाने का टिकट का रास्ता पैदा कर देगा। अगर किसी को जहन्नुम में जाना हो तो ‘गजवा-ए-हिंद’ के नाम पर अराजकता पैदा करने का कुत्सित प्रयास करे। छद्म रूप में ये लोग जो इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हैं। वे भी कान खोलकर सुन लें कि देर सबेर ‘छांगुर’ जैसे हाल तो उनके भी होने ही हैं।”