सफाईकर्मियों व अतिथि शिक्षकों का वेतन समय पर नहीं मिलने सहित ठेकेदारों के बकाये के लिए लगातार हड़ताल और आंदोलन झेल रहा पूर्वी दिल्ली नगर निगम बिना किसी पुख्ता रोड मैप के आमदनी बढ़ाने का नायाब तरीका अपनाएगा। निगम आयुक्त ने सोमवार को पेश किए गए बजट में शिक्षा उपकर, सुधार कर और व्यावसायिक कर की पेशकश कर जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने की संभावना तलाशते हुए कई दावे कर डाले। पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने 2019-20 के लिए 4616.28 करोड़ रुपए का अनुमानित बजट पेश कर वर्तमान वित्त वर्ष में फंड नहीं मिलने की वजह से बजट में 872.28 करोड़ रुपए की कटौती की बात कही। अदालती हस्तक्षेप के बाद भी निगम को दिल्ली सरकार से चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार फंड नहीं मिल रहा है। निगम आयुक्त पुनीत कुमार गोयल ने स्थायी समिति की बैठक में बजट पेश करते हुए कहा कि पूर्वी निगम की आर्थिक स्थिति अन्य दोनों निगमों की तुलना में काफी कमजोर है, लेकिन उपलब्ध संसाधनों के अनुसार नागरिक सुविधाएं देने में हमारी प्रतिबद्धता में थोड़ी सी भी कमी नहीं है।
निगम अपने स्तर पर आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है, जिसकी वजह से राजस्व में 35 फीसद की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन निगम को चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राशि नहीं दी जा रही है जिसकी वजह से जितने विकास की जरूरत है वह नहीं हो पा रहा है। यह राशि नहीं मिल पाने की वजह से निगम की देनदारी 1700 करोड़ रुपए पहुंच गई है। आमदनी की कमी की वजह से वर्तमान वित्त वर्ष के अनुमानित बजट अनुमान में कटौती की गई है। पहले यह 5263.63 करोड़ रुपए था जिसे घटाकर 4391.35 करोड़ रुपए किया गया है। आगामी वित्त वर्ष के लिए 4616 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया है। इसमें चौथे वित्त आयोग के अनुसार 2620 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। वतर्मान वित्त वर्ष में इसके हिसाब से 3300 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान था, लेकिन अभी तक कोई राशि नहीं मिली है। निगम की आमदनी बढ़ाने के लिए आयुक्त ने तीन नए करों का प्रावधान किया है, जिसमें शिक्षा उपकर, सुधार कर और व्यावसायिक कर शामिल है।
शिक्षा उपकर को संपत्ति कर की पांच फीसद की दर से लगाने का प्रस्ताव है, जिससे 10 करोड़ रुपए की वार्षिक आय का अनुमान है। आयुक्त ने कहा कि पूर्वी दिल्ली निगम क्षेत्र में विकास कार्यों के कारण यहां की संपत्तियों की कीमत में निरंतर वृद्धि हो रही है। इन इलाकों में सुधार कर लगाया जाएगा जो संपत्ति कर का 15 फीसद होगा। इससे भी 10 करोड़ रुपए की वार्षिक आय का अनुमान है। आजीविका कर उन वेतनभोगियों व व्यवसायियों पर लगाया जाएगा, जिनकी वार्षिक आय पांच लाख रुपए से अधिक होगी। इस मद से पांच करोड़ रुपए की आय का अनुमान है। इससे जनता पर अतिरिक्त बोझ तो पड़ेगा, लेकिन निगम का मानना है कि इससे उसकी माली हालत में सुधार होगा।

