Punjab Flood Update: पंजाब में इस बार बाढ़ से सबसे ज्यादा जन-जीवन प्रभावित हुआ है और अब तक 48 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में बाढ़ से चारों तरफ पानी ही पानी है। पंजाब के प्रभावित जिलों में हजारों महिलाएं काफी परेशानियों का सामने कर रही हैं। इसके बावजूद कई महिलाएं मदद के लिए आगे आई हैं। कोई दवाइयां बांट रही है, कोई ट्रॉली में खाना पका रही है, तो कोई बाढ़ को रोकने के लिए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।

होशियारपुर और टांडा को जोड़ने वाले ब्यास नदी पर बने पुल पर हरमेल कौर भी पिछले 20 दिनों से एक शिविर में रह रही हैं। बाढ़ के पानी में डूबे अपने घर और खेतों के बाद, उन्होंने एक ट्रॉली को अपने तीन बच्चों के लिए एक तंग कमरे और रसोई में बदल दिया है। हरमेल कौर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सुबह और शाम का खाना गुरुद्वारे से आता है। मैं अब भी चाय बनाती हूं, कपड़े धोती हूं और सारे काम करती हूं, हालांकि, यहां शौचालय नहीं है। हमें खुले में जाना पड़ता है।” उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं के लिए यह पुरुषों से कहीं ज्यादा मुश्किल है। लेकिन यह एक विपत्ति है और हमें इसे सहना ही होगा।”

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साफ-सफाई की कमी- हरपुनीत कौर

पंजाब यूनिवर्सिटी में लॉ की स्टूडेंट हरपुनीत कौर ने कहा, “हमने एक छोटी सी टीम बनाई, चंडीगढ़ और मोहाली से मिले दान से सारा सामान इकट्ठा किया और रामदास-अजनाला क्षेत्र में राहत पहुंचाई।” उन की टीमअब साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि जलभराव की वजह से फंगल संक्रमण और एलर्जी होना आम है। हरपुनीत ने कहा, “राशन बड़े केंद्रों तक पहुंच रहा है, लेकिन स्वच्छता की कमी है। अब हम इसी को प्राथमिकता दे रहे हैं।”

पंजाब में अब तक 48 लोगों की मौत

पंजाब में भारी बारिश और बांधों से पानी छोड़े जाने की वजह से आई बाढ़ ने अब तक 48 लोगों की जान ले ली है। 3.54 लाख से ज्यादा लोग घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं। सभी 23 जिलों के 1,900 से ज्यादा गांव जलमग्न हो गए हैं। सोमवार से बारिश से कुछ राहत मिलने की उम्मीद के साथ, पंजाब सरकार ने निरीक्षण के बाद राज्य भर के स्कूलों को मंगलवार से फिर से खोलने का आदेश दिया है।

पंजाब दिल में बसता है- कबड्डी खिलाड़ी पिट्टू कोटड़ा

मानसा की कबड्डी खिलाड़ी पिट्टू कोटड़ा ने सिर्फ कपड़ों के एक थैले से शुरुआत की थी और अब वह वॉलटिंयर बन गई हैं और सुल्तानपुर लोधी में संपर्क से कटे घरों तक नाव से दवाइयां पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा, “हम हार नहीं मान सकते। पंजाब दिल में बसता है, हमें एकजुट होना होगा।” अमृतसर के गोंडवाना गांव में, नरेगा महिला मजदूरों का एक बड़ा ग्रुप रेत की बोरियां भरने और नदी के तटबंधों को मजबूत करने के लिए जुट गया है। उनमें से एक, बलविंदर कौर बताती हैं कि बढ़ता पानी उनके घर में घुस आया और उनकी छत को नुकसान पहुंचा। वह न केवल रोजगार के लिए, बल्कि अपने घर की सुरक्षा के लिए भी इस प्रयास में शामिल हुईं।

मोहिंदर कौर सुल्तानपुर लोधी के बाऊपुर में मौजूद एक कैंप में 24 घंटे ड्यूटी पर हैं और वहां पर शरण लिए हुए महिलाओं के लिए खाने और पानी की व्यवस्था का इंतजाम कर रही हैं। कैंप में तैनात होकर, वह खाने और उसकी आपूर्ति की देखभाल करती हैं।

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