Election 2019: हाल ही में खबरें आई थीं कि नागपुर सीट पर बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को हराने के लिए कांग्रेस दिग्गज नेता नाना पटोले को उतारने पर विचार कर रही है। हालांकि, मंगलवार को नाना का नाम विवादों में आ गया। मीडिया के एक धड़े में इस तरह की खबरें आईं कि कांग्रेस के अनूसूचित जाति मोर्चे के अध्यक्ष नितिन राउत ने एक चिट्ठी लिखकर कथित तौर पर 2006 में हुए एक हत्याकांड में पटोले की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि 29 सितंबर 2006 को महाराष्ट्र के भंडारा जिले में खैरलांजी गांव के लोगों ने दलित भोतमांगे परिवार के सदस्यों सुरेखा, उनकी बेटी प्रियंका और बेटे रोशन व सुधीर की निर्ममता से हत्या कर दी थी। पटोले कुन्बी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, जिस पर कथित तौर पर भोतमांगे के खिलाफ भीड़ को उकसाने का आरोप है।
राउत ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘यह पूरी तरह झूठी खबर है। मैंने इस तरह का कोई खत नहीं लिखा। देखा जाए तो इस तरह का लेटर लिखने का कोई औचित्य नहीं है। यह मीडिया में शरारत भरा अभियान चलाया जा रहा है।’ इस बीच, भारिप बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अंबेडकर ने उन खबरों को खारिज किया, जिनके मुताबिक उन्होंने पटोले के समर्थन या विरोध में कोई बयान जारी किया है। उन्होंने कहा, ‘मैंने कोई बयान जारी नहीं किया। मुझे पता चला है कि कुछ स्थानीय आयोजकों ने उनके खिलाफ बयान जारी किए हैं। पटोले को समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। हम कांग्रेस के खिलाफ हर जगह उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं।’
बता दें कि पटोले को आम चुनाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ कड़ी चुनौती पेश करने वाले नेता के तौर पर देखा जा रहा है। गडकरी नागपुर सीट पर वर्तमान में सांसद हैं। आरएसएस मुख्यालय होने की वजह से नागपुर बीजेपी के लिए बेहद अहमियत रखता है। जहां तक पटोले का सवाल है, उन्होंने 2014 में भंडारा-गोदिया सीट पर आसानी से लोकसभा चुनाव चुनाव जीता था। इस सीट पर दलितों की भी कुछ आबादी है। पटोले ने पीएम नरेंद्र मोदी के रवैए पर सवाल उठाते हुए 2017 में बीजेपी छोड़ दी थी।
जहां तक राउत द्वारा लिखे खत का सवाल है, इस बात की अटकलें हैं कि मीडिया में सर्कुलेट हो रही चिट्ठी किसी अज्ञात ‘दलित पीएचडी स्कॉलर’ ने लिखी है। कथित तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखे इस मेल में लेखक ने अपील की है कि पटोले को उनकी खरलांजी नरसंहार के दोषियों को कथित तौर पर बचाने के आरोपों के मद्देनजर टिकट न दिया जाए।