Bihar Electoral Revision: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मामला लगातार गरमाता जा रहा है। बिहार के मधुबनी में मौजूद सौराठ गांव में ऊंची जाति के लोग रहते हैं। यह गांव अपनी एनुअल सभा के लिए जाना जाता है। इसमें शादी के लोग योग्य उम्र के ब्राह्मण पुरुष दूल्हे की तरह तैयार होते हैं और शादी के प्रस्ताव का इंतजार करते हैं। हालांकि, इन दिनों सौराठ में इंतजार कुछ और ही है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सौराठ पंचायत की मुखिया कामिनी देवी के बेटे विभाकर झा ने कहा, ‘अकेले हमारी पंचायत से जमा किए गए 2,200 निवास आवेदनों में से अब तक केवल 150 प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।’ वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर केवल हाशिए पर पड़े लोग और गरीब ही परेशान नहीं है बल्कि राज्य में जहां पर जातिगत विभाजन बहुत ज्यादा गहरा है वहां पर भी वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर अच्छी खासी बेचैनी देखने को मिल रही है।

डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करना सबसे आसान काम – विभाकर

विभाकर झा ने कहा चुनाव आयोग के 11 लोगों की लिस्ट में डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करना सबसे आसान है। इस कतार में ऊंची जाति के लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है। सूरत की रहने वाली एक अन्य महिला चिंता देवी ने कहा डॉक्यूमेंट के नाम पर हमें परेशान ना किया जाए। बिहार में हिंदुओं में अपर कास्ट की संख्या में ब्राह्मण (3.65 प्रतिशत), राजपूत (3.45 प्रतिशत), भूमिहार (2.8 प्रतिशत) और कायस्थ (0.89 प्रतिशत) शामिल हैं। एनडीए के वोटबैंक के रूप में देखा जाने वाला यह सामाजिक समूह आरजेडी और कांग्रेस का भी समर्थन करता है।

बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची RJD

यह ग्रुप पूरे राज्य में फैला हुआ है। औरंगाबाद, रोहतास, भोजपुर, सारण, बांका, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और पटना में इनकी संख्या काफी है। इंडियन एक्सप्रेस ने इन इलाकों के कई बीएलओ से बात की। एक आम अनुमान यह था कि करीब 30 प्रतिशत ऊंची जाति के वोटर्स ने उनके अधिकार क्षेत्र के तहत डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया है।

स्थानीय अधिकारियों की समस्या दोतरफा

सौराठ पंचायत के स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि उनकी समस्या दोतरफा है। पिछले हफ्ते से रोजाना जमा किए जा रहे हैं। 3000-4000 से ज्यादा डोमिसाइल एप्लीकेशन को कैसे संभालें और कैसे 40 प्रतिशत से ज्यादा स्थानीय आबादी को अपने मतदाता फार्म अपडेट करने और जमा करने के लिए कहें। सौराठ से महज कुछ ही दूरी का मामला देखें तो मगरौनी की रेखा मिश्रा के पति सतीश मिश्रा ने कहा, ‘हमारी छोटी सी बस्ती में लगभग 400 वोटर हैं। इनमें से 50 प्रतिशत बिहार से बाहर रहते हैं। मेरे अपने परिवार के चार सदस्य दिल्ली में रहते हैं। अब क्या इसका मतलब यह है कि अगर मतदाता पुनरीक्षण के दौरान 200 लोग मौजूद नहीं रहे, तो वे अपना वोट खो देंगे।’

बिहार के लोग पलायन कर रहे – राजकिशोर झा

मिश्रा के पड़ोसी राजकिशोर झा कहते हैं, ‘अपनी रोजी रोटी कमाना वोट देने से ज्यादा जरूरी है। बिहार से लोग पलायन कर गए हैं क्योंकि राज्य नौकरी नहीं दे सकता। इस सर ने फोटोस्टेट और कैफे मालिकों को एक बड़ा तोहफा दे दिया है। इससे सभी को तकलीफ होती है, ऊंची जातियां भी उतनी ही पीड़ित हैं जितनी कि अन्य।’ मधुबनी की गृहिणी और कैंसर से पीड़ित पूनम कुमारी ने कहा, ‘डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाकर मुझे बहुत राहत मिली है। मैं चुनावी प्रक्रिया की खूबसूरती में विश्वास करती हूं। मैं मतदाता बनी हुई हूं। भगवान का शुक्र है।’ वोटर लिस्ट के वेरिफिकेशन को लेकर बिहार के गांवों में परेशान हैं लोग