देश में पहली बार भूकम्प की पूर्व सूचना देने वाली प्रणाली इस्तेमाल में लाई जा रही है। भूकम्प की चेतावनी देने वाली सुरक्षा प्रणाली हरियाणा सरकार के चंडीगढ़ स्थित मिनी सचिवालय में स्थापित की गई है। टैरा टेलीकॉम के प्रबंध निदेशक बिजेंदर गोयल ने गुरुवार को पत्रकार सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसे इमारतों की सुरक्षा प्रणाली से जोड़ कर इसके और बेहतर नतीजे लिए जा सकते हैं। इसकी मौजूदा कीमत 30 लाख रुपए है। इसका देश में उत्पादन करके इसकी कीमतों में कमी लाई जा सकती है।

उन्होने कहा कि टैरा टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड और जर्मन की कंपनी सेक्टी इलेक्ट्रोनिक्स जीएमबीएच के साझेउपक्रम के तौर पर तैयार इस प्रणाली को सीएसआइआर-एसईआरसी (स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग रिसर्च सेंटर), चेन्नई में10 मार्च को किए परीक्षण में सफल पाया गया। इसके बाद ही इसे चंडीगढ़ के सेक्टर 17 स्थित मिनी सचिवालय में 14 मार्च, को स्थापित किया गया है। इस सात मंजिली इमारत की छत पर एक सार्वजनिक अलार्म प्रणाली भी लगाई गई है जो आपात स्थिति में छह किलोमीटर के दायरे में अलार्म बजाएगी।

यह अलार्म भूकम्प आने के 12 से तीस मिनट पहले बजने लगता है, जिससे लोगों को इमारत से निकल कर सुरक्षित जगह तक पहुंचने का मौका मिल सकता है। गोयल ने बताया कि आमतौर से रात को भूकम्प आने पर लोग झटके महसूस होने के काफी देर बाद जाग पाते हैं। इस प्रणाली से वे जल्दी उठ कर सुरक्षित जगह पुहंच सकेंगे। मसलन कोई 20 मंजिली इमारत हो तो इसके लोग नीचे भागने के बजाए कहां खड़े हों कि वे बच सकते हैं यह भी इस प्रणाली में बताया जाता है। उन्होंने दिखाया कि इस प्रणाली के उपयोग से नए सचिवालय भवन की लिफ्ट रुक कर भूतल पर आ गई और हर मंजिल पर अलार्म बजने शुरू हो गए। इसका उपयोग सार्वजनिक उद्घोषक प्रणाली की तरह किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हालांकि इस प्रणाली का अंतरराष्टÑीय संस्थाओं की ओर से पहले ही परीक्षण किया जा चुका है। एसईआरसी की ओर से परीक्षण सफल होने से अब इस प्रणाली की भारत में भी विश्वसनीयता बढ़ेगी। निकट भविष्य में उत्तर भारत में बड़े भूकम्प की आशंका संबंधी राष्टÑीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की चेतावनी के बाद से तमाम संस्थानों ने यह प्रणाली लगाने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि यह सुरक्षा प्रणाली कारपोरेट घरानों, होटलों, अस्पतालों, शॉपिंग मॉल, कालेजों, आवासीय सोसायटियों, बिजलीघरों, रेलवे व मेट्रो स्टेशनों, हवाई अड्डों, पुलों, सुरंगों और दूसरे संवेदनशील स्थानों के लिए जरूरी हो गई है।

गोयल ने यह भी कहा कि हमने इसके भावी उपयोग के लिए भारत सरकार के भू-विज्ञान मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी इसके सफल परीक्षण के बारे में अवगत करा दिया है। गृह मंत्रालय भी पहले ही देश में बड़ा भूकम्प आने की आशंका जता चुका है। इस मौके पर सेफ्टी इलेक्ट्रॉनिक, जर्मनी के प्रबंध निदेशक जुएरजेन प्रज्बीलाक ने कहा कि हमारी प्रणाली दुनिया में एकमात्र ऐसी प्रणाली है जो न केवल भूकम्प की पूर्व सूचना देती है, बल्कि इस प्रणाली की सुरक्षा संबंधी ऐसी खूबियां हैं, जिन्हें भवन प्रबंधन की प्रणाली से भी जोड़ा जा सकता है। इस प्रणाली को 2006 सेअब तक 25 देशों में स्थापित किया जा चुका है, जहां यह सफलतापूर्वक काम कर रही है। इसका अलार्म बजने के साथ ही इमारत की तमाम खतरे वाली चीचे स्विच आॅफ हो जाती हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ डिजास्टर मैनेजमेंट (जिओहैजार्ड डिवीजन) के मुखिया प्रोफेसर चंदन घोष ने कहा कि न सिर्फ भवन निर्माताओं बल्कि आम आदमी की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे भूकंपरोधी भवनों के निर्माण पर जोर दें। उन्होंने कहा कि सरकार को भी इस संबंध में कड़े कदम उठाने की जरूरत है।