दिल्ली के रेलवे स्टेशनों पर प्रति दिन 10 बच्चे ऐसे मिल रहे हैं, जो नौकरी की तलाश में अपने घरों से भागकर आ जाते हैं। इसके अलावा हर रोज औसतन पांच बच्चे ऐसे भी मिलते हैं, जो अपने परिजनों से बिछड़ जाते हैं। आरपीएफ और जीआरपी से मिले आंकड़ों के जरिए यह भी पता चला है कि सबसे अधिक बच्चे नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर मिल रहे हैं।

रेलवे अधिकारियों ने ने बताया कि इस साल 30 अप्रैल तक 1800 बच्चे आरपीएफ और जीआरपी के जवानों को मिले। इनमें से अधिकतर बच्चे विभिन्न राज्यों से दिल्ली केवल पैसा कमाने की तलाश में भागकर आए थे। इनमें कुछ मामले ऐसे भी सामने आए, जो राजधानी दिल्ली को केवल देखने के लिए घर में बिना बताए आए थे। कई बच्चों के अभिभावकों को सूचना देकर उनके हवाले किया जा रहा है। बच्चों का कोई ठिकाना नहीं था, उन्हें चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के माध्यम से एनजीओ को सौंप दिया जाता है।

जानकारी के अनुसार, बरामद किए गए सभी नाबालिगों में से मुश्किल से 10 फीसदी ही अपने घर या परिवार के बारे में जानकारी दे पाते हैं। जो अपने घर नहीं जाना चाहते या फिर जिनके पास कोई जानकारी नहीं होती उन्हें एनजीओ को सौंप दिया जाता है।