कोरोना काल में भी यहां के आलाधिकारी दुनिया में भागलपुर का मशहूर जर्दालु आम बतौर तोहफे भेजने की फिक्र में है। इसके लिए डीडीसी, कृषि अधिकारी और उद्यान अधिकारी बैठकें कर रहे हैं और नफिश किस्म का आम ढूंढने के लिए गोराडीह, सबौर, पीरपैंती और कहलगांव के बाग-बगीचे खंगाल रहे हैं।
असल में सुल्तानगंज महेशी गांव के बगीचे से ही हरेक साल आम भेजने का सिलसिला चल रहा था। बताते है कि ज़िला प्रशासन 2007 से ही यह परंपरा निभा रहा है। इस साल कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने के लिए सरकार की सारी ताकत लगी है। अस्पताल, डाक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, अधिकारी की कमी महसूस की जा रही है। लेकिन भागलपुर में पदस्थापित अधिकारियों को परंपरा निभाने और अपने राजनैतिक आकाओं व अधिकारियों को खुश करने की फिक्र में आम के तौर पर तोहफे भेजने की जुगाड़ में लगाया गया है।
कोरोना की वजह से डाकघर ने ऑनलाइन बुकिंग करवाकर घर तक जर्दालु आम पहुंचाने की नई कवायद शुरू की है। इसके लिए महेशी बगीचे का आम बुक कराया जा रहा है। इस वजह से यहां के आम इस दफा तोहफे में प्रशासन के अधिकारी नहीं भेज सकेंगे। डाक अधीक्षक राम परीक्षा प्रसाद कहते है कि अभी तक 23 हजार किलो से ज्यादा आम की ऑनलाइन बुकिंग हुई है। घर तक पहुंचाने की कीमत सत्तर रुपए किलो है। यह दर आम और डाकघर का खर्च मिलाकर है।
इसी वजह से जिला के एक उद्यान अधिकारी गोराडीह, कहलगांव, पीरपैंती बगैरह बगीचे से आम की नफिश किस्म जुटा कर ज़िलाधीश के सामने मंजूरी लेने पेश कर रहे है। ताकि पटना और दिल्ली भेजा जा सके। बताते है कि 1200 पैकेट दिल्ली और 800 पैकेट करीब पटना भेजने का रिवाज सा है।
उद्यान अधिकारी अजय कुमार सिंह बताते है कि इस दफा 1500 पेटी आम दिल्ली भेजने का हुक्म ज़िलाधीश ने दिया है। यह आम की सौगात राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री , केंद्रीय मंत्रियों, और पटना में मुख्यमंत्री , राजभवन जैसे खासमखास को भेजी जाती है। इस दफा भी भेजने की तैयारी है। उम्मीद है आठ जून तक आकर्षक पैकिंग कर डिब्रूगढ़-दिल्ली ब्रह्मपुत्र विशेष ट्रेन से भेज दिया जाएगा। गौरतलब है कि यह आम नहीं खास है। इससे अपनी पहचान बनाने और बड़े ओहदे वाले अधिकारियों व राजनैतिक रिश्ते मजबूत करने का जरिया भी है।
घरबंदी के बाद रेलवे ने एक सौ जोड़ी विशेष ट्रेनें एक जून से चलाई है। इन्हीं में से एक दिल्ली-डिब्रूगढ़ इकलौती ट्रेन है जो पटना, मोकामा, क्युल, जमालपुर, भागलपुर , मालदा स्टेशनों पर ठहराव के साथ गुजर रही है। 70 दिनों बाद तीन जून को किसी मुसाफिर ट्रेन की सिटी सुनने को मिली है। जर्दालु आम को पेटियों में भर तोहफे के तौर पर इसी ट्रेन से भेजने की योजना है।
हालांकि आम की सौगात भेजने में कोरोना के संकट की वजह से ज़िला प्रशासन के अधिकारी पेशोपेश में थे। लेकिन भारत सरकार ने देश में घरबंदी का पहला ताला खोल देने से तोहफा भेजने का रास्ता भी साफ कर दिया।

