उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय (ULB) चुनाव के नतीजे शनिवार (13 मई) को जारी हो चुके हैं। इन चुनावी नतीजों की चर्चा के बीच देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस नदारद ही दिखाई दी। इसकी वजह कांग्रेस का प्रदर्शन रहा। इस बार कांग्रेस ने 2017 के मुक़ाबले बेहद कमजोर प्रदर्शन किया। कांग्रेस ना सिर्फ इस बार एक भी मेयर पद पर कब्जा कर पाई बल्कि अन्य पदों पर भी कांग्रेस की संख्या में कमी आई है। कांग्रेस पार्टी के लिए इस बार के चुनावी नतीजों के बाद उम्मीद की एक किरण भी जागी है लेकिन यह कैसे संभव है, आइए समझते हैं…

कांग्रेस के खाते में 1,420 में से 77 नगरसेवक पद ही आए हैं जबकि 199 में से चार नगर पंचायत अध्यक्ष पद और 544 में से मात्र 14 नगर पंचायत अध्यक्ष पद आ पाए हैं।

क्या है उम्मीद…कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का क्या कहना है

उत्तर प्रदेश के शहरी स्थानीय निकाय (ULB) चुनाव के नतीजों के बाद इस बात का अंदाज़ा होता है यह एक ऐसा समय है जब बसपा की संख्या में भारी कमी आई है…कांग्रेस ने बसपा को कई सीटों पर टक्कर भी दी है, इससे कांग्रेस को उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी मैदान में उतरने का हौसला बना रही है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खबरी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “कुछ फैक्टर हैं जो इन चुनावों से कांग्रेस के लिए आशाजनक दिख रहे हैं.. यह परिणाम दिखाते हैं कि मतदाता अब स्थानीय पार्टियों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं और भाजपा के खिलाफ अन्य विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, कांग्रेस जमीनी स्तर और नगर पंचायतों तक अधिक पहुंचने में कामयाब रही है, हमने इस बार कई पार्टियों को अच्छी टक्कर दी है”। उन्होने आगे कहा, ” हम लोकसभा चुनावों की तैयारी में लगे हैं और चुनावी परिणामों की समीक्षा करते हुए एक बेहतर विकल्प बनने का प्रयास करेंगे”

नतीजों पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि पिछले चुनावों की तुलना में कम संख्या के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवारों ने मुरादाबाद, शाहजहाँपुर और झाँसी जैसे शहरों में मेयर सहित कुछ सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी है।

कर्नाटक चुनाव से बढ़ा है जोश

”पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “ऐसे समय में जब कर्नाटक विधानसभा के नतीजों ने हमारे कैडर के जोश को बढ़ावा दिया है। ये परिणाम हमें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे, जहां हम खुद को भाजपा के मुख्य विकल्प के रूप में पेश करेंगे, यह देखते हुए कि जनता ने इन यूएलबी चुनावों में भी एसपी या बीएसपी को विकल्प के रूप में नहीं माना है। यह हमें एक बढ़त देता है, जैसा कि पार्टी परिणामों की समीक्षा करने और अपने कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति पर चर्चा करने के लिए बैठने के लिए तैयार है।