दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के बावजूद दिवाली पर जमकर आतिशबाज़ी हुई। देर रात तक पटाखों की आवाज सुनी गई। नतीजतन राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 323 दर्ज किया गया है। वहीं नोएडा में AQI 342 दर्ज हुआ है।
दिल्ली प्रदूषण कंट्रोल कमिटी के रियल टाइम डेटा के मुताबिक, जहांगीरपुरी में हवा सामान्य से 10 गुना ज्यादा प्रदूषित हो गई है। दिवाली की रात 10.30 बजे के करीब जहांगीरपुरी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 770 पहुंच गया था।
दिवाली की रोज हवा की गुणवत्ता इतनी खराब होने के बावजूद इसे बीते सात साल का दूसरा सबसे बेहतर AQI बताया जा रहा है। यानी पिछले सात साल में इतना कम प्रदूषण 2018 में हुआ था। उस वर्ष दिवाली पर AQI 281 दर्ज किया गया था।
गौलतलब है कि 0 से 50 के बीच AQI अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।
बता दें, दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पिछले सप्ताह कहा था कि दिवाली पर दिल्ली में पटाखे फोड़ने पर छह महीने की जेल हो सकती है और 200 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, रोक होने के बावजूद दक्षिणी और उत्तर पश्चिमी दिल्ली समेत कई इलाकों में लोगों ने सोमवार को शाम से ही पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए थे। इस दौरान तेज आवाज वाले पटाखों की गूंज साफतौर पर सुनी जा सकती थी।
दिल्ली के अधिकारियों ने कहा था कि पर्यावरण संबंधी चिंताओं और इससे जुड़े स्वास्थ्य खतरों पर विचार करने के बाद प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया। पटाखे फोड़ने पर पाबंदी के क्रियान्वयन के लिए 408 दल गठित किए गये थे। दिल्ली पुलिस ने सहायक पुलिस आयुक्तों के नेतृत्व में 210 दल गठित किए थे। वहीं, राजस्व विभाग ने 165 दल और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 33 दल गठित किए। पड़ोसी हरियाणा के दिल्ली से सटे गुरुग्राम और फरीदाबाद शहरों में भी लोगों ने पटाखे फोड़े।

