दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का कैंपस शनिवार को एक बार फिर उबल पड़ा। पठन-पाठन व शोध से इतर कैंपस में ‘राम जन्मभूमि मंदिर’ पर आयोजित एक सेमिनार से यहां का माहौल इस कदर भड़क उठा कि प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। कई लोग हिरासत में लिए गए जिन्हें बाद में छोड़ दिया गया। शायद इसकी आशंका पुलिस को पहले से थी। सुबह से ही कैंपस का छात्र मार्ग छावनी में तब्दील कर दिया गया था। रविवार को भी तनाव बने रहने के संकेत हैं।
सेमिनार के खिलाफ एनएसयूआइ, सभी वामपंथी संगठन, आम आदमी पार्टी का छात्र संघ समेत तमाम शिक्षक भी सड़क पर उतर आए। एनएसयूआइ और वामपंथी छात्र संगठन आइसा इसे डीयू का भगवाकरण कह कर विरोध कर रहे थे। इसके तुरंत बाद भाजपा समर्थित छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) इसके समर्थन मेंं खड़े हो गए। एनएसयूआइ के विरोध के खिलाफ एबीवीपी के कार्यकर्ता ‘जय श्रीराम’ और ‘अयोध्या तो झांकी है, मथुरा-काशी बाकी है’ सरीखे नारों से कैंपस गुंजने लगा। मामला बिगड़ता देख पुलिस ने सख्ती शुरू की। हटने के निर्देश न मानने पर लाठीचार्ज हुआ। कई छात्रों को चोटें आर्इं।
सेमिनार का आयोजन विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल की ओर से स्थापित शोध संस्थान ‘अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ’ (एवीएपी) कर रहा है। इसके कर्ताधर्ता व उद्घाटनकर्ता भाजपा सांसद व चर्चित वकील सुब्रमण्यम स्वामी हैं।
बाहर लाठियां चल रहीं थी और सेमिनार कक्ष के अंदर सुब्रमण्यम स्वामी कड़े तेवर में थे। उद्घाटन सत्र में स्वामी ने कहा-मैंने जैसा कहा है अब तक वही हुआ है। मैंने कहा था- राजा 2जी में जेल जाएंगे, वे गए। अब कह रहा हूं राम मंदिर अयोध्या में बनेगा, तो जरूर बनेगा। हालांकि इस मौके पर उन्होंने यह नहीं दोहराया कि इस साल के अंत तक मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा।
स्वामी ने कांग्रेस से अपील की कि वे राम मंदिर के समर्थन में आगे आएं। उन्होंने कहा-राजीव गांधी ने 1989 में कहा था, देश में रामराज्य होगा। वे अच्छे इंसान थे। विरोध करने वालों पर उन्होंने कहा, वे असहनशील हैं। इतना बोलने के बाद स्वामी कूटनीति और राजनीतिक स्टंट से आगे आए। एक बुद्धिजीवि के तौर पर उन्होंने कहा-क्या विश्वविद्यालय परिषद में शोध नहीं होने चाहिए? यहां राम मंदिर से जुड़े तथ्यों और शोध पत्र को यहां लोग पेश करेंगे।
यहां समान विचारधारा वालों को बुलाया गया है। बकौल स्वामी, सेमिनार में इतिहासकार, पुरातत्त्वविद और कानून विशेषज्ञों ने ही भाग लिया है। उन्होंने इसका विरोध करने वालों को असहिष्णु करार दिया। साथ ही दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमारी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी है और जब तक इसका निर्माण नहीं होता है तब तक इसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यह काम बलपूर्वक न हो, लेकिन हो।
भारी प्रदर्शन के बीच भाजपा के सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी कार्य बलपूर्वक या कानून के खिलाफ नहीं किया जाएगा। साथ में दावा भी किया कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अदालत में मंदिर समर्थक जीतेंगे। इतना ही नहीं, चर्चा के विषयों को भी पटल पर रखा। ‘भगवान राम का चरित्र और मूल्य, भारतीय संस्कृति में उनके प्रभाव’, ‘राममंदिर का इतिहास अैर संबंधित पुरातत्त्व तथ्य’, ‘राम मंदिर से जुड़े कानूनी पहलू’ और ‘राम मंदिर के अनुभव और भविष्य’ आदि विषयों पर चर्चा की जानकारी दी। भाजपा नेता ने दावा किया है कि हमारे देश में 40 हजार से अधिक मंदिर ध्वस्त किए गए हैं। हमने कभी यह नहीं कहा कि इनका पुननिर्माण किया जाना चाहिए लेकिन हम इनमें से तीन-राम जन्मभूमि मंदिर, मथुरा में कृष्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ पर समझौता नहीं कर सकते।
एबीवीपी के संयोजक चंद्र प्रकाश, विश्वविद्यालय के शिक्षक व परिषद नेता डॉक्टर संजय ने कहा कि यह सेमिनार अयोध्या मुद्दे पर आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बारे में छात्र को जानकारी देने के लिए हो रहा है। आइसा ने कहा कि सवाल यह है कि इस तरह के कार्यक्रम का पठन-पाठन से क्या लेना-देना है। डीयू प्रशासन की तरफ से इस कार्यक्रम को इजाजत देना इस बात का प्रमाण है कि एजुकेशन की फील्ड में सरकार अपने भगवा एजंडे पर जोर दे रही है। क्रांतिकारी युवा संगठन ने कहा कि कोई ऐसा विषय जो हमेशा विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच विवाद का मुद्दा रहा है पर चर्चा के बदले गरीबी, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे ज्यादा अहम मुद्दे विचार करने के लायक हैं।