राजस्थान में कैबिनेट के शपथ ग्रहण के तीन दिन बाद आखिरकार विभाग बांट दिए गए। हालांकि, इसके लिए बुधवार को दिल्ली में 8 घंटे की मैराथन मीटिंग हुई, जिसके बाद रात 2 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत 25 मंत्रियों को बांटे गए विभागों की सूची जारी हुई। इस दौरान जयपुर से लेकर दिल्ली तक दिनभर ड्रामा चलता रहा। बुधवार सुबह पहले उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले। इसके बाद दोपहर में अशोक गहलोत फाइल लेकर अचानक दिल्ली पहुंच गए। तीनों प्रमुख विभाग गृह, वित्त और कार्मिक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पास ही रखे हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा अब तक नहीं हो पाया है। गृह, वित्त और परिवहन विभाग को लेकर कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह में तकरार बढ़ गई है। ऐसे में मामला दिल्ली आलाकमान के पास पहुंच चुका है। छत्तीसगढ़ के मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी राहुल गांधी करेंगे।

राजस्थान : गहलोत-सचिन में इस तरह हुआ बंटवारा
अशोक गहलोत (9 विभाग) : गृह, वित्त, कार्मिक, आबकारी, आयोजना, नीति आयोजना, सामान्य प्रशासन, राजस्थान राज्य अन्वेषण ब्यूरो व सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग।
सचिन पायलट (5 विभाग) : पीडब्ल्यूडी, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और सांख्यिकी विभाग।

13 कैबिनेट मंत्री संभालेंगे ये जिम्मेदारी
बीडी कल्ला (4 विभाग) : ऊर्जा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, भूजल, कला-साहित्य-संस्कृति और पुरातत्व।
प्रताप सिंह खाचरियावास (2 विभाग) : परिवहन और सैनिक कल्याण विभाग।
शांति धारीवाल (3 विभाग) : स्वायत्त शासन, नगरीय विकास एवं आवासन, विधि एवं विधिक कार्य विभाग और विधि परामर्शी कार्यालय।
रघु शर्मा (4 विभाग) : चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा, ईएसआई, सूचना एवं जनसंपर्क।
परसादी लाल (1 विभाग) : उद्योग एवं राजकीय उपक्रम।
मास्टर भंवरलाल (2 विभाग) : सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, आपदा प्रबंधन।
लालचंद कटारिया (2 विभाग) : कृषि, पशुपालन और मत्स्य।
प्रमोद जैन भाया (2 विभाग) : खान और गोपालन।
विश्वेंद्र सिंह (2 विभाग) : पर्यटन एवं देवस्थान विभाग।
हरीश चौधरी (3 विभाग) : राजस्व, उपनिवेशन, कृषि सिंचित क्षेत्रीय विकास।
रमेश चंद मीणा (1 विभाग) : खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग।
उदयलाल आंजना (2 विभाग) : सहकारिता और इंदिरा गांधी नहर परियोजना।
सालेह मोहम्मद (2 विभाग) : अल्पसंख्यक, वक्फ एवं जनअभियोग निराकरण।

10 राज्यमंत्री संभालेंगे ये कार्यभार
गोविंद सिंह डोटासरा : शिक्षा विभाग (प्राथमिक एवं माध्यमिक) (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन और देवस्थान।
ममता भूपेश : महिला एवं बाल विकास विभाग (स्वतंत्र प्रभार), जनअभियोग निराकरण, अल्पसंख्यक मामले और वक्फ।
अर्जुन सिंह : बामनिया जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग (स्वतंत्र प्रभार), उद्योग और राजकीय उपक्रम।
भंवरसिंह भाटी : उच्च शिक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), राजस्व, उपनिवेशन, कृषि सिंचित क्षेत्रीय विकास एवं जल उपयोगिता।
सुखराम बिश्नोई : वन विभाग (स्वतंत्र प्रभार), पर्यावरण (स्वतंत्र प्रभार), खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग।
अशोक चांदना : युवा मामले एवं खेल विभाग (स्वतंत्र प्रभार), कौशल, नियोजन एवं उद्यमिता विभाग (स्वतंत्र प्रभार), परिवहन विभाग, सैनिक कल्याण विभाग।
टीकाराम जूली : श्रम विभाग (स्वतंत्र प्रभार), कारखाना एवं बॉयलर्स निरीक्षण (स्वतंत्र प्रभार), सहकारिता, इंदिरा गांधी नहर परियोजना।
भजनलाल जाटव : गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), मुद्रण एवं लेखन सामग्री विभाग (स्वतंत्र प्रभार), कृषि, पशुपालन और मत्स्य विभाग।
राजेंद्र सिंह यादव : आयोजना (जनशक्ति) विभाग (स्वतंत्र प्रभार), स्टेट मोटर गैराज विभाग (स्वतंत्र प्रभार) भाषा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और आपदा प्रबंधन एवं सहायता।
डॉ. सुभाष गर्ग : तकनीकी शिक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), संस्कृत शिक्षा विभाग (स्वतंत्र प्रभार), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, आयुर्वेद व भारतीय चिकित्सा, ईएसआई, सूचना एवं जनसंपर्क।

छत्तीसगढ़ में विभागों का फैसला एक-दो दिन में
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के मंत्रियों में विभागों का बंटवारा अभी नहीं हुआ है। मंत्रिमंडल में नौ मंत्रियों की नियुक्ति के बाद से ही कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नाराज हैं। सीनियर नेता उनसे बात कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सरकार ने जातिगत समीकरण साधते हुए 12 सदस्यीय मंत्रिमंडल में तीन ओबीसी, तीन सामान्य, तीन आदिवासी, दो अनुसूचित जाति और एक अल्पसंख्यक को जगह दी। क्षेत्रीय समीकरण पर नजर डालें तो दुर्ग संभाग से सबसे ज्यादा छह लोगों को मंत्री बनाया गया। वहीं, बिलासपुर संभाग से 2, सरगुजा से 2, बस्तर और रायपुर संभाग से सिर्फ 1-1 विधायक को मंत्री पद दिया गया। लोकसभा की दृष्टि से देखें तो बिलासपुर, जांजगीर-चांपा और महासमुंद लोकसभा क्षेत्रों को पूरी तरह खाली छोड़ दिया गया।

 

मध्यप्रदेश में गृह-वित्त, परिवहन पर मामला फंसा
मध्यप्रदेश की नई सरकार के 28 कैबिनेट मंत्रियों को भी विभागों का बंटवारा नहीं हो पाया है। बुधवार सुबह से देर रात तक चली माथापच्ची के बावजूद कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह के बीच वित्त, गृह और परिवहन विभाग को लेकर मामला फंसा रहा, जो अब दिल्ली दरबार में पहुंच गया है। सिंधिया ने इस मसले पर पार्टी कोषाध्यक्ष अहमद पटेल से भी बात की। सिंधिया इससे पहले अपने गुट के लिए उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहते थे। यह मामला भी दिल्ली में ही सुलझा था। अब विभाग भी वहीं बंटेंगे।