भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की सलाह को दरकिनार करके गुरुवार को भी लोकसभा में नोटबंदी पर सत्ता पक्ष ने मनमानी की। चर्चा के बाद मतविभाजन न होने देने पर अड़ी सरकार ने पूरक अनुदान मांगों के बहाने भाजपा और अपने सहयोगी दलों के नेताओं से नोटबंदी पर भाषण करवा दिया।
एआइडीएमके की गैरहाजिरी के चलते विपक्ष की कमजोर हो रही आवाज में पांच सितंबर को टीआरएस के एपी जितेंद्र रेड्डी और बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब के नियम 193 के तहत नोटबंदी की चर्चा को नियमानुसार मान कर गुरुवार को भी उसे एजंडे में शामिल कर लिया। यह अलग बात है कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस आदि के विरोध के चलते चर्चा करीब पौन घंटे में निबट गई। लोकसभा तीन बजे शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2016-17 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच और 2013-14 के लिए बजट (सामान्य) के संबंध में अतिरिक्त अनुदानों की मांगों एवं संबंधित विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। नोटबंदी पर मतविभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच सदन ने अनुदान मांगों को पारित किया। अनुदान मांगों पर सदन में हुई अपने ही पक्ष के सदस्यों की चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा कि 2004 से 2014 तक 10 साल कांग्रेस की सरकार रही। हम कांंग्रेस को चुनौती देते हैं कि वह एक कदम ऐसा गिना दे जो उसने 10 वर्षों के कार्यकाल में कालाधन के खिलाफ उठाया हो। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कालेधन को सफेद करने के ‘50-50’ वाले तंज पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि कालाधन जमा करने पर 50 फीसद कर और जुर्माना देना होगा। इसके अलावा 25 फीसद राशि सरकार के पास चार साल रहेगी, उसका ब्याज भी जोड़ लें तो प्रभावी कर 65 फीसद के आसपास हो जायेगा। जेटली के बोलने के समय गांधी सदन में नहीं थे।

वित्त मंत्री ने कहा कि आठ नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने देश की जनता को आश्वासन दिया कि 30 दिसंबर तक स्थिति को अधिकतर सामान्य कर लिया जाएगा। सरकार इस दिशा में प्रयासरत है। रिजर्व बैंक भी रोजाना एकमात्रा में नकदी बैंकों के माध्यम से बाजार में पहुंचा रहा है। हम लेनदेन को ‘लैसकैश’ और डिजिटल बनाने के साथ नकदी रहित अर्थव्यवस्था के लिए प्रयासरत हैंं। हंगामे के बीच चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार के समय भारत को दुनिया की पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाने लगा था। लेकिन आज हमारा देश विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। संप्रग सरकार के समय परंपरा थी कि बजट में बड़ी घोषणाएं कर दी जाती थीं और साल के अंत तक कटौती कर दी जाती थी। इस सरकार ने पिछले साल संशोधित अनुमान में बजट की योजना से ज्यादा खर्च किया। इस बार भी विकास कार्यों पर खर्च बजट घोषणा से 8 फीसद अधिक रहने की संभावना है।

सदन में पारित अनुदान की दूसरी पूरक मांगों के अनुसार, 2016-17 की पूरक अनुदान मांगों के दूसरे बैच में 69 अनुदान मांगें तथा 4 विनियोग हैं। इसमें 59,978.29 करोड़ रुपए के सकल अतिरिक्त व्यय का प्रस्ताव किया गया है। इसमें से निवल नकद व्यय के प्रस्तावों से संबंधित कुल खर्च 35,171.92 करोड़ रुपए हैं और सकल अतिरिक्त व्यय 24,805.34 करोड़ रुपए हैं जिसे मंत्रालयों विभागों की बचत या बढ़ी हुई प्राप्तियोंं या वसूलियों से समतुल्य किया जाएगा। इसके अतिरित नई सेवा या नई सेवा लिखित वाले मामलों में बचत पुनर्विनियोग के लिए व्यय के प्रत्येक मद हेतु एक लाख रुपए के साथ 103 लाख रुपए का सांकेतिक प्रावधान है।
सदन में पेश दस्तावेज के अनुसार कृषि कल्याण उपकर को कृषि कल्याण कोष में अंतरण व सामान्य घटक के लिए अतिरिक्त आवश्यकता पूरी करने के लिए, अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक व प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जनजाति क्षेत्र उपयोजना के वास्ते 3098.28 करोड़ रुपए का प्रावधान है। एयर इंडिया में इक्विटी निवेश और एयर इंडिया में इक्विटी निवेश व मैसर्स पवन हंस लिमिटेड के बकाया ऋण इक्विटी में बदलने के वास्ते लेखाकरण समायोजन के लिए 861.65 करोड़ रुपए के अनुदान का प्रस्ताव है। जलयान, वायुयान और बेड़ों के अधिग्रहण और भूमि अधिग्रहण हेतु तटरक्षक संगठन द्वारा अतिरिक्त व्यय को पूरा करने के लिए 1000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। अनुदान की अनुपूरक मांगों में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के लिए 2500 करोड़ रुपए और जीएसटी व सक्षम परियोजना के लिए 210 करोड़ रुपए प्रदान करने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री के विमान के रखरखाव के लिए 193 करोड़ रुपए, साइबर सुरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय के विकास योजना के मद में 50 करोड़ रुपए, राष्ट्रीय रासायनिक हथियार संधि हेल्प डेस्क प्राधिकार के अनुदान के तहत 1.01 करोड़ रुपए के अनुदान का प्रावधान किया गया है। जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा से जुड़े मद में 550 करोड़ रुपए के अनुदान की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही मनरेगा के लिए अतिरिक्त कोष के तहत 4000 करोड़ रुपए के अनुदान को मंजूरी दी गई है।

लोकसभा द्वारा अनुदान मांगों को पारित किए जाने से पहले हुई चर्चा में लगभग सभी सदस्यों ने नोटबंदी के फैसले का जिक्र किया।चर्चा में भाग लेने वाले सत्ता पक्ष के या सत्ता पक्ष के सहयोगी सदस्यों ने अनुदान मांगों के बजाए नाटबंदी के पक्ष में ज्यादा बात की। चर्चा शुरू करते हुए भाजपा के किरीट सोमैया ने कहा कि ये अनुदान मांगें कृषि, सेवाक्षेत्र से लेकर विभिन्न विकास की जरूरतों को पूरा करने वाली हैं। उन्होंने नोटबंदी के संदर्भ में कहा कि कांग्रेस के लोगों का कहना है कि देश में 35 लाख करोड़ रुपए का कालाधन है। टीआरएस के बी विनोद कुमार ने अनुदान मांगों का समर्थन करते हुए तेलंगाना प्रदेश में नये राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए निधि की मांग की। बीजद के रवीन्द्र कुमार जेना ने कहा कि हमारी पार्टी ने नोटबंदी का समर्थन किया है लेकिन इसे लागू करने के बाद देश में वित्तीय क्षेत्र में जंग जैसी स्थिति है और आपात स्थिति बन गई है।

इनेलोद के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार की ओर से कहा गया है कि अब तक बैंकों में 12 लाख करोड़ रुपए के 500 और 1000 रुपए के नोट जमा हो चुके हैं। इसके मद्देनजर सरकार को किसानों पर सहकारिता क्षेत्र के तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज को माफ करना चाहिए। उन्होंने मांग की कि केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सतलुज-यमुना लिंक के निर्माण की दिशा में काम करना चाहिए और उसके लिए पूरक मांगों में प्रावधान रखना चाहिए।
तेलगू देशम पार्टी के जयदेव गाला ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष पैकेज की प्रतिबद्धताओं को कानूनी समर्थन की मांग की। उन्होंने नोटबंदी के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया। गाला ने मांग उठाई कि डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए ई-भुगतान से सेवा कर को समाप्त किया जाना चाहिए। वाइएसआर कांग्रेस पार्टी के वाई वी सुब्बारेड्डी ने आंध्र प्रदेश की विशेष राज्य के दर्जे की मांग को दोहराया।

शिवसेना के आनंदराव अडसुल ने कहा कि यह संवैधानिक बाध्यता है और हमारी पार्टी इसका समर्थन करती है। चर्चा में भाजपा के सुभाष बहेरिया, वीरेन्द्र सिंह ने भी भाग लिया। अब तो लगता यही है कि इसी तरह सरकार अपने हिसाब से बिल आदि पास करवाकर शीतकालीन सक्ष समाप्त करवा देगी। कुल चार और बैठकें होनी हैं उसमें दो शुक्रवार यानि निजी सदस्यों का दिन है। उस दिन सरकारी काम नहीं होंगे और बाकी दोनों दिन सरकार अपने काम निबटाएगी। शायद अपनी बात पर मचे बवाल के चलते आडवाणी आज दूसरे दिन की अपेक्षी कुछ ही देरी लोक सभा में बैठे। वे अमूनन हर रोज पूरे समय सदन में होते हैं।