दूषित हवाओं के लिए बदनाम देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में इस बार फिजाएं कुछ बदली-बदली हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले 8 सालों के मुकाबले काफी बेहतर है। दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का अवांछित खिताब अपने नाम करने वाले दिल्ली में साल के पहले सात महीनों में प्रदूषण का औसत स्तर 2012 से अब तक के सालों की समान अवधि के मुकाबले न्यूनतम रहा।

अभी भी पीएम लेवल सामान्य से 3 गुना ज्यादाः विशेषज्ञों ने भी प्रदूषण के स्तर में आई इस गिरावट का श्रेय केंद्र और दिल्ली सरकार की तरफ से प्रदूषण रोधी मुहिम के तहत उठाए गए कदमों को दिया। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) लेवल अभी भी सामान्य के मुकाबले करीब दो से तीन गुना ज्यादा है। डीपीसीसी के साथ काम करने वाले वैज्ञानिक एमपी जॉर्ज ने कहा, ‘पीएम-10 और पीएम-2.5 दिल्ली की हवा में प्रदूषण के सबसे बड़े कारण है। ये दोनों ही जनवरी से जुलाई की अवधि में पिछले सालों के मुकाबले काफी नियंत्रण में रहे हैं।’

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सबसे बड़े प्रदूषकों में यूं हुई गिरावटः केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में पीएम-2.5 के स्तर में भी गिरावट हुई है। 2018 में यह 2017 के मुकाबले 7.3 फीसदी कम रहा, जबकि 2016 के मुकाबले गिरावट 14.8 फीसदी रही। इसी तरह पीएम-10 2018 में 2017 के मुकाबले 8.6 फीसदी और 2016 के मुकाबले 16.5 फीसदी कम रहा।दूषित हवाओं के लिए बदनाम देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में इस बार फिजाएं कुछ बदली-बदली हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल दिल्ली में हवा की गुणवत्ता पिछले 8 सालों के मुकाबले काफी बेहतर है। दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर होने का अवांछित खिताब अपने नाम करने वाले दिल्ली में साल के पहले सात महीनों में प्रदूषण का औसत स्तर 2012 से अब तक के सालों की समान अवधि के मुकाबले न्यूनतम रहा।

अभी भी पीएम लेवल सामान्य से 3 गुना ज्यादाः विशेषज्ञों ने भी प्रदूषण के स्तर में आई इस गिरावट का श्रेय केंद्र और दिल्ली सरकार की तरफ से प्रदूषण रोधी मुहिम के तहत उठाए गए कदमों को दिया। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी है कि हवा में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) लेवल अभी भी सामान्य के मुकाबले करीब दो से तीन गुना ज्यादा है। डीपीसीसी के साथ काम करने वाले वैज्ञानिक एमपी जॉर्ज ने कहा, ‘पीएम-10 और पीएम-2.5 दिल्ली की हवा में प्रदूषण के सबसे बड़े कारण है। ये दोनों ही जनवरी से जुलाई की अवधि में पिछले सालों के मुकाबले काफी नियंत्रण में रहे हैं।’

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सबसे बड़े प्रदूषकों में यूं हुई गिरावटः केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में पीएम-2.5 के स्तर में भी गिरावट हुई है। 2018 में यह 2017 के मुकाबले 7.3 फीसदी कम रहा, जबकि 2016 के मुकाबले गिरावट 14.8 फीसदी रही। इसी तरह पीएम-10 2018 में 2017 के मुकाबले 8.6 फीसदी और 2016 के मुकाबले 16.5 फीसदी कम रहा।

बारिश और हवा के चलते भी गुणवत्ता में सुधार हुआ है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पिछले कुछ दिनों में 55 से 70 के बीच रहा है। इस साल में हवा की सबसे अच्छी गुणवत्ता 12 अगस्त को रही। इस दिन एक्यूआई 57 था। एक्यूआई यदि 0 से 500 के स्केल पर यदि 50 से कम हो तो यह सबसे अच्छा माना जाता है। एचटी के मुताबिक सीपीसीबी की एयर लैब के पूर्व प्रमुख डी साहा के मुताबिक, ‘दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर मुख्य तौर पर आम आदमी की गतिविधियों और मौसम पर निर्भर करता है। यदि इन पर नियंत्रण कर सकें तो और सुधार किया जा सकता है।’