यमुना का जलस्तर घटने के साथ ही बाढ़ प्रभावित लोग अब कई तरह की मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। मयूर विहार फेस-1 के सामने पिछले एक सप्ताह से राहत शिविर में रहने वाले लोगों ने सोमवार को बताया कि भले ही यमुना का जलस्तर कम हो गया है। पर बाढ़ जो अपने साथ गाद और गंदगी लेकर आई है। वह उनके खेतों और घरों व झुग्गियों में भर गया है। बाढ़ में सब कुछ बर्बाद हो गया है।

वहीं, घाट संख्या 28 पर रहने वाले निवासी ने बताया कि घरों में गाद भर गया है। पहले उसे खाली करना होगा। फिर घर को कई दिनों से सूखने के लिए छोड़ना होगा, तब जाकर उसमें रहा सकता है। वहीं, सोमवार खिली धूप ने इन लोगों की परेशानियों को कहीं अधिक बढ़ा दिया। लोगों ने कहा कि कड़ी घुप के कारण दिनभर उमस के बीच शिविर में काट पाना मुश्किलों भरा रहा।

205.17 मीटर तक आया जलस्तर

आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर यमुना का जलस्तर सोमवार शाम छह बजे 205.17 मीटर खतरे के निशान से नीचे आ गया था। वहीं, एक दिन पहले रविवार को यह 205.33 मीटर था। गुरुवार को यमुना का जलस्तर 207.48 मीटर था, जो इस मौसम में सबसे अधिक है। यमुना नदी के लिए चेतावनी स्तर 204.50 मीटर, खतरे का निशान 205.33 मीटर निर्धारित है, जबकि जल स्तर 206 मीटर पहुंचने पर लोगों को निकालकर दूसरे स्थानों पर पहुंचाना शुरू कर दिया जाता है।

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घर चलाने व दिहाड़ी की चिंता

मयूर विहार फेस-1 के सामने राहत शिविर में रहने वाले महेश पाल ने बताया कि भले ही बाढ़ का पानी खादर में कम हो गया हो। पर हमारी मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। पाल खेतिहर मजदूर के तौर पर काम करते हैं। खेतों में गाद भर गया है, जब तक गाद हटा नहीं लिया जाता, तब तक मजदूरी भी नहीं मिलेगी। दूसरी ओर राहत शिविर में खाना और पानी मिल जा रहा है। खेतों में जाने के बाद मिलेगा। इसको लेकर संशय है।

बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर

अपनी पत्नी और छह बच्चों के साथ यमुना बाजार राहत शिविर में रह रहे विनोद ने कहा कि उनके बच्चे एक महीने से अधिक समय से स्कूल और कालेज नहीं जा पा रहे हैं। हमारे बच्चे राहत शिविरों में हमारे सामान की देखभाल और सुरक्षा करने में मदद करते है, जबकि वह और मेरी पत्नी काम पर या गाद साफ करने बाहर जाते हैं। घर वापस आने के बाद ही वे अपनी पढ़ाई फिर से शुरू कर पाएंगे।

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घर के सूखने का इंतजार

घाट संख्या 27 की नीलम देवी (45) ने भी ऐसी ही परेशानियों का जिक्र करते हुए कहा कि गाद साफ करने में कई घंटे लग जाते हैं। हमारे पास मदद लेने के लिए पैसे नहीं हैं। गाद निकल जाने के बाद भी हमें घर को सुखाने की जरूरत होती है और यह पूरी तरह मौसम पर निर्भर करता है। वहीं, ममता (20) ने कहा कि स्थिति बहुत ज्यादा थकाऊ हो गई है। तीन सप्ताह से ज्यादा हो गए हैं। बस अपने घर वापस जाना चाहते हैं।