दिल्ली में यमुना नदी की साफ सफाई को लेकर सरकार ने कवायद तेज कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आदेश पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कार्यकारी समिति की बैठकों का दौर शुरू हो गया है।
मुख्य सचिव धर्मेंद्र की अध्यक्षता में हाल ही में समिति की पहली अहम बैठक की गई जिसमें यमुना पुनरुद्वार परियोजना से जुड़े दिल्ली जल बोर्ड के अलग-अलग मामलों पर खास चर्चा कर निर्णय लिए गए। यमुना नदी में सीधे गिरने वाले उप-नालों के अनुपचारित पानी को नए मलजल उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित कर शोधित किया जाएगा। इसके बाद ही इस पानी को यमुना नदी में छोड़ने का काम किया जा सकेगा। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौशल राज शर्मा ने समिति को रपट दी है कि यमुना विहार में एक नया एसटीपी स्थापित किया जा रहा है। यह एसटीपी यमुना नदी के वजीराबाद डाउनस्ट्रीम में गिरने वाले अनुपचारित पानी को रोकने का काम करेगा।
नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन का सर्वे कार्य पहले ही किया जा चुका है आबंटित
एसटीपी के लिए कार्य आबंटन संबंधी प्रक्रिया को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। इस परियोजना को पूरा करने लक्ष्य 31 अगस्त, 2026 निर्धारित किया गया है। इसके अलावा यमुना में गैरउपचारित पानी के गिरने को रोकने के लिए ओखला अवजल शोधन संयंत्र (ओखला एसटीपी) पर भी जल बोर्ड काम कर रहा है। ओखला एसटीपी से अबुल फजल ड्रेन में शोधित जल छोड़ने की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। इसके 15 अक्तूबर 2025 तक पूरा होने की समय सीमा तय की गई है।
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दिल्ली में यमुना में गिरने वाले सभी 22 उप-नालों (सब-ड्रेनों) की स्थिति का पता लगाने के लिए ड्रोन सर्वेक्षण कराया जा रहा है। नजफगढ़ और शाहदरा ड्रेन का सर्वे कार्य पहले ही आबंटित किया जा चुका है। अब राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने बाकी 20 ड्रेनों के भी ड्रोन सर्वे की सिफारिश की है। यह काम भी दिल्ली जल बोर्ड की निगरानी में किया जाएगा। मुख्य सचिव धर्मेंद्र ने जल बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि वह पूरे शहर के ड्रेनेज नेटवर्क के लिए एक नई महायोजना तैयार करे। यह योजना जीएसडीएल डेटा के आधार पर तैयार की जाएगी। मास्टर प्लान, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की योजना से समन्वय में होगा।