आवासीय जनगणना से झुग्गी झोपड़ी और पुनर्वास (स्लम-जेजे कालोनी) को एक विशेष पहचान नंबर देने की तैयारी चल रही है। अब तक इन कालोनियों के पास ऐसा कोई नंबर या पता नहीं है। इसके लिए जमीनी तैयारियां दिल्ली से शुरू हुई है और इसके बाद ऐसे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश जहां पर यह व्यवस्था लागू नहीं है। इस दिशा में यह पहल जनगणना के दौरान करने की तैयारियां की जा रही है। इससे जहां इन घनी आबादी वाले इलाकों में आवासीय संपत्ति की पहचान संभव होगी, वहीं एक सही आकलन भी सरकारी एजंसियों के पास उपलब्ध हो सकेगा। संभावना जताई जा रही है कि अप्रैल- सितंबर 2026 के बीच 30 दिन की समय अवधि के लिए होगा।
इस कार्य को पहले चरण की प्रक्रिया के दौरान शुरू किया जाएगा। तय प्रावधान के मुताबिक पहले चरण में सामान्य तौर पर मकानों की गणना की जाती है, इसके आधार पर ही आवास की गणना के लिए सरकारी एजंसियों के पास पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध हो पाते हैं। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए दिल्ली से जमीनी स्तर की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है। व्यवस्था को लागू करने के लिए दिल्ली में एक पूर्व जांच (प्री टेस्ट) की प्रक्रिया भी शुरू होगी, जिसके लिए दक्षिणी दिल्ली के एक निगम वार्ड को चुना गया है। इस प्रक्रिया के पूर्ण होने के बाद अन्य जगहों पर जनगणना की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा।
करीब तीस लाख ऐसी संपत्तियां जिनके पास नहीं है कोई मकान नंबर
दिल्ली में एक अनुमान के मुताबिक, करीब तीस लाख के करीब ऐसी संपत्तियां है, जिनके पास कोई नंबर नहीं है। इस प्रक्रिया से जुड़ने वाली एजंसियों को सरकारी एजंसी के ओर से एक कार्य योजना तैयार करने के आदेश दिए गए हैं। केंद्र सरकार के निर्णय के मुताबिक इस बार की जनगणना को दो चरणों में पूर्ण किया जा जाना है। इसमें पहला चरण आवासीय संपत्तियों की गणना से संबंधित है और दूसरा चरण आम जन की गणना से जुड़ा होगा। यह फरवरी 2027 में होना तय किया गया है। जनगणना की प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए केंद्र सरकार ने कोड पुस्तिका तय की है। पहली बार जनगणना के आंकड़े डिजिटल तौर पर अर्थात मोबाइल के माध्यम से जुटाए जा रहे हैं।
इस स्थिति में संबंधित जनगणना अधिकारी की मदद के लिए ये कोड तय किए गए है। इसका लाभ होगा कि किसी एक ही व्यक्ति के लिए प्रयोग होने वाले शब्दों के लिए चयन के लिए अलग- अलग नाम रखने की जरूरत नहीं होगी। अधिकारी को पता होगा तो वह तय प्रक्रिया के तहत मोबाइल पर जानकारी को भरेगा और इसके बाद सरकारी एजंसियों के पास भी सटीक आंकड़ा उपलब्ध हो सकेगा। हाल ही में केंद्र सरकार ने दूसरे चरण के लिए दस कोड को निर्धारित कर दिया है। ये कोड घर के मुखिया से संबंधित जानकारी, मातृभाषा और अन्य भाषा का ज्ञान, व्यवसाय, उद्योग, व्यापार या सेवा के प्रकार, जन्म स्थान या अंतिम निवास स्थान, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) से संबंधित हैं।
पहली बार डिजिटल जनगणना
अभी तक चल ही सामान्य प्रक्रिया के दौरान अधिकारी किसी भी आवास पर जाते थे और लिखित तौर पर जानकारियां भरते थे। लेकिन पहली बार डिजिटल जनगणना के तौर पर काम किया जा रहा है। इसलिए सरकारी एजंसियों की मदद के लिए इन कोड को तैयार करने की जरूरत पड़ी है। ये आंकड़े भारत के महापंजीयक कार्यलय के डिजिटल पोर्टल पर एक साथ उपलब्ध होंगे।
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दावा किया जा रहा है कि इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि जैसे ही प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी, सरकारी संस्थाओं के पास डिजिटल आंकड़े तत्काल उपलब्ध हो जाएंगे। अब तक इस प्रक्रिया में काफी समय लगता था। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इस बार प्रश्नों की संख्या भी कम होने की संभावना जताई जा रही है।