पुराना किले के नए प्रदर्शनी (लाइट एंड साउंड शो) की तैयारियां तो लगभग पूरी कर ली गई हैं, लेकिन इसके उद्घाटन में लगातार देरी होने के कारण अभी तक इसे करीब एक साल बाद भी शुरू नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से पुराने किले में पर्यटकों को आने-जाने की सुविधा प्रदान करने के लिए खरीदे गए बैटरी रिक्शा भी लगभग छह महीनों से मौसम की मार झेल रहे हैं। मालूम हो कि जी-20 के दौरान ही इस प्रदर्शनी को शुरू करने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है।

स्क्रिप्ट में अकबर से लेकर दिल्ली के अंतिम शासक हेमू तक का इतिहास है

भारत पर्यटन विकास निगम (आइटीडीसी) को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की सहमति से प्रदर्शनी को शुरू किया जाना था। सूत्रों का कहना है कि इस योजना से जुड़े कुछ अधिकारी पटकथा में निजामुद्दीन औलिया की कहानी को भी जोड़ना चाहते हैं, जबकि कुछ अधिकारियों को इससे परहेज है। एएसआइ ने जो पटकथा तैयार की है उसमें 1100 ईसवी से शुरू होकर अकबर के शासनकाल की प्रमुख घटनाओं को दिखाते हुए, दिल्ली के अंतिम शासक हेमू या हेमचंद विक्रमादित्य तक का इतिहास बताया जाना था।

वहीं इस बाबत पूछे जाने पर आइटीडीसी के अधिकारी मोहम्मद शमीम ने कहा कि पटकथा को लेकर कोई विवाद नहीं है, जो एएसआइ तय करता है उसी पर आधारित प्रदर्शनी को तैयार किया जाता है। काम पूरा हो चुका है सिर्फ उद्घाटन का दिन तय किया जाना बाकी है।

अक्तूबर-नवंबर से झील में ले सकेंगे नौका विहार का आनंद

धरोहर मित्र सभ्यता फाउंडेशन के अधिकारी अजय वर्मा ने बताया कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के प्रथम सप्ताह के बीच पुराना किले की झील में पर्यटक नौका विहार का आनंद सकेंगे। बता दें कि अगस्त के अंतिम सप्ताह में एएसआइ के महानिदेशक हरिंद्र सिंह रावत, सभ्यता फाउंडेशन की निदेशक, डालमिया ग्रुप से पुनीत डालमिया, एएसआइ के धरोहर निदेशक जुल्फिाकर व दिल्ली सर्किल के वरिष्ठ पुरातत्विद् प्रवीण सिंह ने पुराने किले का दौरा भी किया है।

जिस क्षेत्र में आज पुराना किला खड़ा है, वह पहले इंद्रप्रस्थ था, जो महाकाव्य महाभारत में पांडवों की राजधानी रही थी। इसी कारण पुराने किले को अक्सर “पांडवों का किला” कहा जाता है।