देश में कई जगहों पर प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ाने का मुद्दा पैरेंट्स की ओर से उठाया जा रहा है। राजधानी दिल्ली में भी प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ पेरैंट्स आवाज उठा रहे हैं। यह मुद्दा दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में भी पहुंच चुका है। फीस बढ़ोतरी से परेशान पैरेंट्स ने दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार से मामले में दखल देने की मांग की है। जबकि विपक्षी दल आम आदमी पार्टी का कहना है कि बीजेपी ने दिल्ली के एजुकेशन सिस्टम को शिक्षा माफिया के हवाले कर दिया है।
बताना होगा कि Delhi Public School, Dwarka में फीस बढ़ाए जाने को लेकर विवाद है और इसके खिलाफ अभिभावक आवाज उठा रहे हैं और विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
आइए जानते हैं कि यह पूरा विवाद है क्या?
बच्चों और पैरेंट्स के आरोपों के चलते डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन की ओर से 3 अप्रैल को एक आदेश जारी किया गया था। आदेश में कहा गया था कि जिला मजिस्ट्रेट (साउथ-वेस्ट) लक्ष्य सिंघल की अध्यक्षता में एक निरीक्षण कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में शिक्षा विभाग के अधिकारी और सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल भी शामिल होंगे।
कमेटी से कहा गया था कि वह स्कूल का दौरा कर जिम्मेदार लोगों, स्टूडेंट्स और टीचर्स से बात करे और इस बात का पता लगाए कि वहां क्या गड़बड़ी है? इसके बाद कमेटी ने कुछ सिफारिशें दी थी।
4 अप्रैल को जब कमेटी के लोग स्कूल पहुंचे और वहां की लाइब्रेरी का दौरा किया तो उन्होंने देखा कि कुछ स्टूडेंट्स लाइब्रेरी में बैठे हुए हैं। स्टूडेंट्स ने बताया कि वे 20 मार्च से लाइब्रेरी में ही बैठे हैं। स्टूडेंट्स ने कमेटी के लोगों को बताया कि उन्हें रेगुलर कक्षाओं में नहीं जाने दिया जाता, कैंटीन जाने और अपने दोस्तों और क्लास में पढ़ने वाले बच्चों के साथ बातचीत करने पर भी रोक लगा दी गई है।
इसके बाद कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में कहा कि ऐसा लगता है कि स्कूल मैनेजमेंट और पैरेंट्स के बीच में कुछ झगड़ा है और इसका असर छात्रों पर पड़ रहा है। कमेटी ने बताया है कि DPS, Dwarka में छात्रों के साथ किस तरह भेदभाव किया जाता है। कमेटी के मुताबिक, छात्रों को रेगुलर कक्षाओं में बैठने से रोका जाता है और उन्हें लाइब्रेरी तक ही सीमित कर दिया जाता है। जब वे टॉयलेट जाते हैं तो गार्ड उन पर कड़ी नजर रखते हैं।
DPS, Dwarka को नोटिस जारी
इसके बाद शिक्षा निदेशालय की ओर से 8 अप्रैल को DPS, Dwarka के मैनेजर को नोटिस जारी किया गया था। इस नोटिस में स्कूल के कामकाज को लेकर कई तरह की गड़बड़ियों के बारे में बताया गया था। इन गड़बड़ियों के बारे में आठ सदस्यों वाली कमेटी को स्कूल का दौरा करने के बाद ही पता चला था।
नोटिस में कहा गया था, “ऐसा लगता है कि स्कूल अथॉरिटी मुनाफाखोरी, व्यवसायीकरण, कैपिटेशन, छात्रों का उत्पीड़न और अभिभावकों के शोषण में शामिल है।” नोटिस में कहा गया था कि छात्रों को रेगुलर कक्षाओं में जाने की अनुमति दी जाए। साथ ही पिछले साल जुलाई में भेजे गए कारण बताओ नोटिस का भी हवाला दिया गया था। नोटिस में कहा गया था कि इसके बाद भी स्कूल में गड़बड़ियां जारी हैं।
शिक्षा निदेशालय ने स्कूल के प्रबंधन से कहा था कि वह सात दिन के अंदर इसका जवाब दे कि आखिर उनके स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई क्यों ना की जाए? इस मामले में स्कूल की प्रिंसिपल प्रिया नारायणन ने कहा है कि किसी भी छात्र के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है और फीस बढ़ोतरी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
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DPS, Dwarka ने कितनी फीस बढ़ाई?
यहां बताना जरूरी होगा कि DPS, Dwarka ने 2020 से 2025 तक लगातार 5 सालों में अपनी फीस में क्रमश: 20%, 13%, 9%, 8%, और 7% की बढ़ोतरी की है। पुष्प विहार में स्थित प्राइवेट स्कूल बिरला विद्या निकेतन ने भी इस साल अपनी फीस 18% बढ़ाई है।
प्रदर्शन करने वाले पैरेंट्स ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से दखल देने की मांग की है। पैरेंट्स का कहना है कि डीपीएस प्रबंधन के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में बढ़ाई जा रही फीस का मुद्दा पैरेंट्स और स्कूल के मैनेजमेंट के बीच संघर्ष की वजह बन गया है।
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