दिल्ली पुलिस ने कुछ आशा वर्करों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि इन्होंने 9 अगस्त को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अनलॉक दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। बताया गया है कि संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत वर्करों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

नई दिल्ली के डीसीपी डॉक्टर ईश सिंघल ने बताया, ‘रविवार को 100 अधिक आशा वर्कर प्रदर्शन के लिए जंतर मंतर पर इकट्ठा हुईं। इस दौरान बहुत सी आशा वर्करों ने मास्क नहीं पहना था और सामाजिक दूरी का भी पालन नहीं किया गया। इस वजह से कोरोना बीमारी फैलती है और जो भी नियमों का पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। राजनीतिक और धार्मिक रूप से लोगों के इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है।’

प्रदर्शन में शामिल होने वाले भारतीय व्यापार संघों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। दरअसल राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहीं आशा कार्यकर्ता 21 जुलाई के बाद से हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि प्रतिमाह दस हजार रुपए वेतन और पीपीई किट दी जाएं।

ऐसी ही एक आशा वर्कर ने बताया, ‘हम फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं जिन्हें कम भुगतान किया जा रहा है। हम जरुरी सुरक्षा उपकरणों के बिना काम करने को मजबूर है। हमने सरकार तक पहुंचने की कोशिश की मगर जब इससे भी काम नहीं बना तो जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन करने का फैसला लिया, ताकी सरकार हमारी आवाज सुने।’

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दिल्ली आशा वर्कर संस्था की महासचिव उषा ठाकुर ने बताया, ‘रविवार को कुछ सौ आशा वर्करों ने जंतर-मंतर पर स्पष्ट एजेंडे के साथ प्रदर्शन किया। अभी तक 150 आशा वर्करों को कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। हम कोरोना के खिलाफ फ्रंट लाइन वर्कर हैं जो पीपीई, मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर और बेतर मानदेय जैसी बुनियादी मांगे कर रहे हैं। दिल्ली में 100 से भी अधिक डिस्पेंसरी की आशा वर्कर हड़ताल पर हैं।’

दिल्ली में पांच हजार से अधिक आशा वर्क हैं जो डिस्पेंसरी और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर काम करती हैं, जहां ये परिवार नियोजन को लेकर जागरुकता फैलाती हैं, बच्चों का टीकाकरण करवाती हैं और मौसमी बीमारियों पर सर्वे करती हैं। आशा कार्यकर्ताओं को इसके बदले में तीन हजार रुपए महीना और एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि मिलती है, जो प्रति केस 50 से 200 रुपए तक हो सकता है।

27 जुलाई को आशा संस्था ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से मुलाकात की थी। उषा ठाकुर ने बताया कि हमने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि या तो हमें दस रुपए महीना भुगतान किया जाए या फिर दिन के हिसाब से मजदूरी दी जाए। हमने प्रोत्साहन राशि के संबंध में नियमों को एकीकृत और स्पष्ट करने के लिए भी कहा मगर मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।