दिल्ली पुलिस ने राजधानी में गंभीर आपराधिक मामलों में कमी का दावा किया लेकिन इस बीच उनकी सिरदर्दी मामूली झगड़ों ने बढ़ा दी जिसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने शुक्रवार को वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि साल 2020 के आपराधिक आंकड़ों की तरफ नजर डाली जाए तो कहा जा सकता है कि पुलिस की मुस्तैदी से दिल्ली में वारदात में लगातार कमी आई है। लेकिन अभी भी दिल्ली वाले अचानक आए गुस्से और मामूली बातों पर हुए झगड़े के दौरान हत्या करने में नहीं चूक रहे हैं।
आंकड़ों के माध्यम से भले ही राजधानी में आपराधिक वारदातों में आई कमी ने मौजूदा पुलिस आयुक्त को गदगद कर दिया हो पर मुश्किल से पूछे गए दस सवालों के जबाब देने से वे कटते नजर आए।
उनके सामने हाल की घटनाओं से जुड़े लंबे सवालों की फेहरिस्त रखी गई लेकिन उनके जवाब या तो नहीं मिले या आधे-अधूरे दिए गए। इन सवालों में सबसे ज्यादा चर्चित मामले शामिल रहे। जिसमें उत्तर-पूर्वी दंगे, कोरोना में अनाप-शनाप तरीके से काटे गए आम लोगों के चालान, तबलीगी जमात के मौलाना साद पर दर्ज एफआइआर, किसान आंदोलन में टिकरी, सिंघू और गाजीपुर सीमा का मामला, टूलकिट, लालकिले में 26 जनवरी को हुई हिंसा में पुलिसिया व्यवस्था की नाकामी और चांदनी चौक पर रातोरात मंदिर निर्माण जैसे अन्य सवालों पर आयुक्त ने जांच की दिशा प्रभावित होने और अन्य कारण बताकर जवाब नहीं दिया।
गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा क्या खुफिया नाकामी के चलते हुई थी? इस सवाल पर आयुक्त श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई खुफिया विफलता थी। अगर ऐसा होता तो बैरिकेड क्यों लगाए गए थे और पुलिस द्वारा उन्हें रोकने के लिए पूरे इंतजाम किए गए थे।
पुलिस महकमे पर दाग लगाने वालों पर बीते साल दिल्ली पुलिस के 420 से अधिक पुलिसकर्मियों को कदाचार के लिए निलंबित कर दिया गया। वहीं 1,325 कर्मियों को अन्य मामलों में दंडित किया गया। पुलिस आयुक्त ने कहा कि कदाचार को लेकर पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पिछले साल 250 सतर्कता जांच कराई गई। इनमें 49 जांच में 115 पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आरोप साबित हुए, जबकि 420 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और 707 कर्मियों के खिलाफ 561 विभागीय जांच शुरू की गई, जिनमें से 525 का निस्तारण कर दिया गया।