चार दिन तक चलने वाले लोक आस्था के महापर्व छठ का आज दूसरा दिन खरना संपन्न हुआ। 13 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर मुख्य पर्व की शुरुआत की जाएगी। 14 नवंबर बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा। बिना पुरोहित और बिना मंत्र के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला यह पर्व अब दिल्ली और एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) का भी मूल पर्व बन गया है। इस इलाके के मूल निवासी सालों से अपने गांव-शहर जैसा छठ मनाने के प्रयास में लगे हुए हैं। वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल भी अपने राजनीतिक हित के लिए सरकारों से भी पर्व मनाने में सहयोग करवाने लगे हैं। कभी दिल्ली में छठ पूजा के सामान के लिए बाजार-बाजार भटकने वाले लोगों के लिए पूरा दिल्ली-एनसीआर छठ का बाजार बन गया है। एक अनुमान के मुताबिक इस इलाके में छठ पर्व पर सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार होता है। केवल यमुनापार या दिल्ली के पिछड़े इलाकों में नहीं कनॉट प्लेस और दक्षिणी दिल्ली जैसा संपन्न लोगों का बाजार भी छठ पर्व के सामानों से पटा पड़ा है।
आज दूसरे दिन शाम को गुड़ की खीर से पूजा करके परिवार और परिजनों के साथ प्रसाद खाने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू हो गया। बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पर्व और व्रत का समापन किया जाएगा। मूली, सुथनी, अदरख, ईंख, केला, कसार, ठेकुआ और इस समय आसानी से मिलने वाले सामानों से पूजा करने का विधान है ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी उसी तरह से पर्व करे जैसा संपन्न लोग करते हैं।
सत्ता के केंद्र बने पूर्वांचली: छठ पर्व करने वालों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक दलों में छठ करने वालों को अपने पक्ष में करने की होड़ लगी रहती है। दिल्ली में रहने वाले पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश के मूल निवासी) का पहला प्रयास तो इस पर्व पर अपने मूल स्थान पर जाने की होती है लेकिन एक तो सभी का जाना संभव नहीं होता दूसरे अब तो प्रवासियों की तीसरी पीढ़ी दिल्ली में बड़ी हो गई है जो केवल भावनात्मक रूप से ही अपने मूल स्थान से जुड़ी हुई हैं, इसलिए इस इलाके में बड़ी तादात में छठ मनाया जाने लगा। छठ के समय पूर्वांचल की ओर जाना कठिन होता जा रहा है। सरकार चाहे कितनी भी विशेष रेलगाड़ियां चला लें लेकिन छठ के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर जाने वाली ट्रेनों में तिल रखने की जगह नहीं मिल पाती। बजीराबाद से ओखला तक यमुना 22 किलोमीटर बहती है।
दिल्ली में आज रहेगा अवकाश: दिल्ली में छठ पर्व के लिए मंगलवार को अवकाश रहेगा। अवकाश के लिए उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मंजूरी दे दी है। इस अधिसूचना को दिल्ली सरकार, शिक्षा विभाग व स्थानीय निकायों समेत अन्य सभी विभागों को भेजा गया है। इसलिए मंगलवार सभी कार्यालयों में छुट्टी रहेगी। इन आदेशों की प्रति संबंधित विभाग के प्रधान सचिवों व सचिवों को भी भेजी गई है। ये आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव अमिताभ कुंडू ने जारी किए हैं।
एच्छिक अवकाश से सार्वजनिक छुट्टी का दिन बना छठ पर्व: दिल्ली में छठ करने वालों की बढ़ती तादात के बाद साल 2000 में दिल्ली सरकार ने छठ पर्व पर एच्छिक अवकाश की घोषणा की। 2010 में केंद्र सरकार ने छठ पर एच्छिक अवकाश की घोषणा की। 2014 में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन के दौरान छठ पर्व पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई। दिल्ली में भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दूबे का कहना है कि अब छठ न को किसी प्रदेश तक सीमित है और न ही किसी खास समुदाय से जुड़ा हुआ है इसलिए केंद्र सरकार को छठ पर्व पर अविलंब सार्वजनिक अवकाश की घोषणा करनी चाहिए। अजीत दूबे बताते हैं कि साठ के दशक में जब उनकी मां दिल्ली में छठ करती थी तब छठ का सामान जुटाना एक कठिन काम था। कुछ सामान तो पहाड़गंज में मिल जाते थे बाकि बिहार से मंगवाना पड़ता था। अब सभी सामान दिल्ली में ही आसानी मिल जाते हैं।