शहर में डेंगू के अप्रत्याशित प्रसार और 1996 के बाद से इस बीमारी के रिकॉर्ड मामले सामने आने, आवारा कुत्तों का भय और सफाईकर्मियों की हड़ताल की वजह से शहर में कूड़े के अंबार लगना ऐसे मामले रहे जिनके चलते नगर निगम 2015 मे सबसे ज्यादा खबरों में रहा।
राष्ट्रीय राजधानी इस साल घातक वेक्टर जनित रोग की चपेट में रही और नवंबर के मध्य तक डेंगू के 15,500 से ज्यादा मामले रिपोर्ट हुए और 40 लोगों की मौत हुई। इस वजह से दिल्ली सरकार और नगर निकायों को स्वास्थ्य का आधारभूत ढांÞचा बढ़ाना पड़ा और मच्छर मारने की दवाओं का छिड़काव करना पड़ा। शहर में 1996 में डेंगू के 10,253 मामले दर्ज किए गए थे और 423 लोगों की मौत हुई थी।
इसके करीब 20 साल बाद यह रिकॉर्ड अक्तूबर मध्य में तब टूटा जब 12,500 मामले सामने आए और आधिकारिक तौर पर 32 लोगों की मौत हुई। सभी महीनों में, अक्तूबर के बाद सबसे ज्यादा 7,283 मामले दर्ज हुए हैं। तीनों नगर निकायों में दक्षिण दिल्ली नगर निगम में डेंगू के सबसे ज्यादा 3,148 मामले सामने आए, जिसमें नजफगढ़ जोन में 972 मामले सामने आए, जबकि पूर्वी दिल्ली निगम में सबसे कम 1,737 मामले रिकॉर्ड हुए।
उत्तर दिल्ली नगर निगम में, कम से कम 2,903 लोगों को डेंगू हुआ। डेंगू के घातक प्रकोप के साथ ही लोगों में दहशत फैली और भाजपा शासित नगर निगमों और अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आप पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला। हालांकि नगर निगमों और नगर सरकार के अस्पताल बड़ी संख्या में मरीजों के पहुंचने से कराहने लगे। सिर्फ डेंगू ने ही नगर निगमों को सुर्खियों में नहीं रखा बल्कि कुत्तों के काटने के बढ़ते मामलों और छह साल से कुत्तों की गणना नहीं कराने को लेकर भी नगर निकाय खबरों में रहा। एकीकृत एमसीडी ने 2009 में कुत्तों की गणना कराई थी और तब उनकी संख्या करीब 5.62 लाख थी।
दक्षिण दिल्ली के जामिया नगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों ने चार अगस्त को एक सात वर्षीय बच्चे पर हमला कर दिया। इसने आवारा कुत्तों के खतरे और सड़कों पर नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दे को चर्चा में ला दिया। उच्च न्यायालय और मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लिया और रिपोर्ट तलब की। एसडीएमसी के एक अधिकारी ने पहले बताया था कि अप्रैल 2012 से मार्च 2015 तक एसडीएमसी ने 47,140 आवारा कुत्तों की नसबंदी कराई जो इसी अवधि में उत्तर और पूर्वी दिल्ली निगम द्वारा आवारा कुत्तों की कराई गई नसबंदी से तीन गुना अधिक था।
इस साल राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर कूड़े के ढेरों ने भी सुर्खियां बटोरीं। खासतौर पर उत्तर और पूर्वी दिल्ली में। एनडीएमसी और ईडीएमसी के सफाई कर्मी कई महीनों के दौरान कई बार हड़ताल पर गए। इस वजह से सफाई का काम बाधित हो गया और निवासियों और मुसाफिरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। सफाई कर्मी और एमसीडी के संकट की वजह से अरविंद केजरीवाल नीत सरकार को आगे आना पड़ा और असंतुष्ट कर्मचारियों की मदद की पेशकश करनी पड़ी जो अपने बकाया और तनख्वाहों के अलावा, स्मार्ट कार्ड जैसे अन्य लाभों की मांग कर रहे थे।