दिल्ली में ई-रिक्शा से जुड़ी दुर्घटनाएं इन दिनों आम हो गई हैं। अकसर यह हादसे जानलेवा हो जाते हैं। मध्य दिल्ली के पहाड़गंज में मंगलवार सुबह स्कूल जाते समय एक 16 वर्षीय लड़की की मौत हो गई। वह जिस ई-रिक्शा में सवार थी, उसने लाल बत्ती पार की, एक स्कूटर को टक्कर मारी और पलट गया। घटना का सीसीटीवी फुटेज एक दिन बाद वायरल हुआ, जिसमें ई-रिक्शा चालक को लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए दिखाया गया था। राहगीरों ने उसे पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
दिल्ली यातायात पुलिस द्वारा साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि इस साल 15 सितंबर तक ई-रिक्शा से जुड़ी 108 सड़क दुर्घटनाओं में 24 लोगों की मौत हो गई और 100 घायल हुए। पूरे 2024 में मौतों की संख्या 20 रही। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि दिल्ली की सड़कों पर ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी की सुविधा ने इनकी मांग को बढ़ा दिया है। दिल्ली में चलने वाले ई-रिक्शा की संख्या 1.6 लाख है जबकि इनमें से सिर्फ 50,000 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं।
दिल्ली में ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही
सामाजिक, आरटीआई और सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता अतुल रंजीत कुमार ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “दिल्ली में ई-रिक्शा की संख्या बढ़ रही है जिससे कई इलाकों में सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर इन पर नियंत्रण किया जाए तो ये अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी का एक बेहतरीन माध्यम बन सकते हैं। नीति-निर्माताओं को सुरक्षित और प्रभावी उपयोग के लिए नियम बनाने चाहिए और पंजीकरण प्रक्रिया सख्त होनी चाहिए।” कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ई-रिक्शा मेट्रो में बड़ा कारोबार लाते हैं।
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इस बीच, यातायात अधिकारियों ने कहा कि वे नियमित रूप से चालकों पर मुकदमा चलाते हैं और उनके रिक्शे ज़ब्त भी करते हैं। यातायात विभाग के विशेष पुलिस आयुक्त अजय चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “इस साल कुल 2,278 ई-रिक्शा ज़ब्त किए गए हैं। 2024 में विभिन्न अपराधों के लिए ई-रिक्शा चालकों के 3.52 लाख चालान काटे गए। इस साल 15 सितंबर तक 4.32 लाख चालान काटे गए।” चौधरी ने बताया कि ई-रिक्शा चालकों द्वारा सबसे आम उल्लंघन अनुचित और बाधा उत्पन्न करने वाली पार्किंग के अलावा समय और रूट रिस्ट्रिक्शन का उल्लंघन है। लाल बत्ती पार करना, ड्राइवर सीट पर अतिरिक्त यात्रियों को बैठाना, बिना लाइसेंस के गाड़ी चलाना अन्य उल्लंघन हैं जो आम हैं।
ज़्यादातर ई-रिक्शा अनाधिकृत चालक चलाते
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग के संस्थापक प्रिंस सिंघल के अनुसार, ज़्यादातर ई-रिक्शा ऐसे अनाधिकृत चालक चलाते हैं जिनमें न तो प्रशिक्षण होता है और न ही सड़क की समझ। सिंघल ने कहा, “इस समस्या को रोकने के लिए सबसे पहला कदम किसी क्षेत्र में चलने वाले ई-रिक्शा की संख्या को सीमित करना होना चाहिए। साथ ही, उन्हें केवल निर्धारित स्थानों पर ही पार्क और रोका जाना चाहिए।”
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक और यातायात अभियांत्रिकी एवं सुरक्षा प्रभाग के प्रमुख डॉ एस वेलमुरुगन ने कहा, “राज्य सरकार ने 2012 में शहर में ई-रिक्शा की संख्या 1.2 लाख तक सीमित करने का लक्ष्य रखा था लेकिन स्पष्ट रूप से यह संख्या इससे ज़्यादा हो गई है। ई-रिक्शा स्पीड लिमिट का उल्लंघन करते हैं, हमेशा ओवरलोड रहते हैं और ज़्यादातर चालक प्रशिक्षित नहीं होते। वे अवैध रूप से अपने वाहन को चार्ज करते हैं और कभी-कभी बैटरी बचाने के लिए बिना लाइट जलाए ही गाड़ी चलाते हैं। ये मुख्य सड़कों पर आसानी से जाम लगा सकते हैं।”
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