दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों को अब धरना-प्रदर्शन करना महंगा पड़ सकता है। यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने प्रोटेस्ट करने वाले छात्रों पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी छात्रों का एडमिशन रद्द करने की भी तैयारी है। इसके अलावा अगर कोई छात्र हिंसा से जुड़े मामले में दोषी पाया जाता है तो उस पर 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
JNU मैनेजमेंट ने जारी की 10 पेज की एडवाइजरी
जेएनयू के नए नियमों को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 10 पेज की एक एडवाइजरी जारी की है, जिसे ‘अनुशासन और आचरण के नियम’ का नाम दिया गया है। प्रावधान के मुताबिक इस तरह के मामलों की प्रॉक्टोरियल जांच और बयानों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। ये नए नियम विश्वविद्यालय के सभी छात्रों पर लागू होंगे, जिनमें पार्ट टाइम छात्र भी शामिल हैं, चाहे इन नियमों के शुरू होने से पहले या बाद में प्रवेश दिया गया हो।
डॉक्यूमेंट्स के अनुसार, नए नियम 3 फरवरी 2023 को लागू किए गए। दरअसल, जवाहर लाल विश्वविद्यालय में बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद JNU मैनेजमेंट ने नयी रूल बुक निकाली। ये नए नियम कार्यकारी परिषद द्वारा बनाए गए हैं, जो विश्वविद्यालय की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। हालांकि, कार्यकारी परिषद के सदस्यों ने पीटीआई को बताया कि इस मुद्दे को एक अतिरिक्त एजेंडा आइटम के रूप में लाया गया था और यह उल्लेख किया गया था कि यह दस्तावेज़ अदालत के मामलों के लिए तैयार किया गया है।
छात्रों के माता-पिता को भेजी जाएगी शिकायत की कॉपी
10 पेज की एडवाइजरी में 17 अलग-अलग मामलों में सम्मिलित पाए जाने पर भी कार्रवाई की बात कही गई है। इसमें जुआ, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा, अपमानजनक भाषा का उपयोग और जालसाजी जैसे मामले शामिल हैं। नियमों में यह भी कहा गया है कि शिकायतों की एक कॉपी छात्रों के माता-पिता को भेजी जाएगी।
वहीं, अदालती मामले में शिक्षकों और छात्रों दोनों से जुड़े मामलों को विश्वविद्यालय के साथ-साथ केंद्रीय स्तर की शिकायत निवारण समिति को भेजा जा सकता है। यौन शोषण, छेड़खानी, रैगिंग और सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा करने वाले मामले चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय के दायरे में आएंगे। अगर मामला सही पाया गया तो मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय आदालत के आदेश और निर्देश के मुताबिक कार्रवाई करेगा।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जेएनयू सचिव ने नए नियमों को कहा ‘तुगलकी’
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जेएनयू सचिव विकास पटेल ने नए नियमों को ‘तुगलकी’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि पुरानी आचार संहिता पर्याप्त रूप से प्रभावी थी। उन्होंने इस नयी कठोर आचार संहिता को वापस लेने की मांग की। वहीं, जेएनयू के वाइस चांसलर संतश्री डी पंडित ने इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया मांगने के लिए किए गए किसी मैसेज और कॉल का जवाब नहीं दिया।
